अंतरिक्ष विभाग को नए मिशन के लिए मिला धन | |
टी ई नरसिम्हन / चेन्नई 02 05, 2019 | | | | |
►रकम में यह बढ़ोतरी आगामी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए की गई है
►विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही रकम में इजाफा किया गया है लेकिन इसरो के पास लंबित बड़ी परियोजनाओं को देखते हुए उसे धन की तंगी में ही काम करना होगा
►इसरो 2019 में अपने प्रक्षेपणों को 17 से बढ़ाकर दोगुनी कम से कम 32 करने की योजना बना रहा है
►बड़ी परियोजनाओं में चंद्रयान-2 है जो चंद्रयान-1 के बाद देश का दूसरा चंद्रमा पर शोध करने वाला मिशन है
केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2019-20 के लिए घोषित अंतरिम बजट में अंतरिक्ष विभाग के लिए 11,538.26 करोड़ रुपये आवंटित किए जबकि पिछले वर्ष इस विभाग को 11,200 करोड़ रुपये का बजट मिला था। रकम में यह बढ़ोतरी आगामी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए की गई है जिसमें 2022 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजना, चंद्रयान-2 सहित कई कार्यक्रम शामिल हैं। बजट दस्तावेजों के मुताबिक 2019-20 के लिए 11,538.26 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की गई है जो कि 2018-19 के लिए संशोधित अनुमान 11,200 करोड़ रुपये से अधिक है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लिए प्रस्तावित राशि को 2018-19 के लिए संशोधित अनुमान 6,992.60 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2019-20 के लिए 7,482.59 करोड़ रुपये किया गया है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रमुख के पास भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विभिन्न केंद्रों की गतिविधियां हैं जिसमें हाल ही तैयार हुए मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र भी शामिल है। हालांकि इनसैट/जीसैट उपग्रहों के विकास और निर्माण के लिए आवंटन की प्रस्तावित राशि को 2018-19 के लिए संशोधित अनुमान 1,330.20 करोड़ से कम कर 2019-20 के लिए 884.42 करोड़ रुपये किए जाने का प्रस्ताव है।
बहरहाल, विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही रकम में इजाफा किया गया है लेकिन इसरो के पास लंबित बड़ी परियोजनाओं को देखते हुए उसे धन की तंगी में ही काम करना होगा। इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए इसरो के अधिकारी मौजूद नहीं थे। इसरो 2019 में अपने प्रक्षेपणों को 17 से बढ़ाकर दोगुनी कम से कम 32 करने की योजना बना रहा है। उसकी सूची में शामिल बड़ी परियोजनाओं में चंद्रयान-2 है जो चंद्रयान-1 के बाद देश का दूसरा चंद्रमा पर शोध करने वाला मिशन है और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क-3 (जीएसएलवी एमके-3) है जिसकी योजना 2022 में अंतरिक्ष में तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए तैयार की गई है।
भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन को ही तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। भले ही उसकी योजना 2022 तक अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने की है लेकिन उससे जुड़ी बड़े कामों को इसी साल पूरा करने की जरूरत है जिसके लिए धन की जरूरत पड़ेगी।
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