निवेशकों की नकारात्मक धारणा के बावजूद अनिल अंबानी की अगुआई वाला रिलायंस समूह अपनी एक कंपनी का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम इस वित्त वर्ष में पेश करने की योजना बना रहा है। रिलायंस जनरल इंश्योरेंस बाजार नियामक सेबी के पास इस हफ्ते पेशकश दस्तावेज दोबारा जमा कराएगी। बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी। कंपनी को उम्मीद है कि लंबित नियामकीय मंजूरी जल्द मिल जाएगी और इसका लक्ष्य मार्च की समाप्ति से पहले इसे सूचीबद्ध कराने का है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
रिलायंस जनरल को बीमा नियामक आईआरडीएआई से दोबारा मंजूरी मिल गई है। बाजार में उतरने के लिए इसे बाजार नियामक सेबी और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की मंजूरी की दरकार होगी। पिछले साल रिलायंस जनरल के पास सभी जरूरी मंजूरी थी, लेकिन बाजार की चुनौतीपूर्ण स्थितियां और समूह की कंपनियों को लेकर नकारात्मक धारणा के चलते वह आईपीओ पेश नहीं कर पाई। इस मोर्चे पर हालांकि बहुत कुछ नहीं बदला है, लेकिन कंपनी और बैंकरों को उम्मीद है कि आईपीओ का बेड़ा पार हो जाएगा क्योंकि जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने प्रदर्शन में सुधार दर्ज किया है।
एक बैंकर ने कहा, इस आईपीओ का आकार 1,500 करोड़ रुपये से लेकर 2,000 करोड़ रुपये के दायरे में रहेगा। इस बीच, रिलायंस जनरल ने आईपीओ के लिए निवेश बैंकरों का दोबारा गठन किया है। कंपनी ने क्रिटिक सीएलएसए और इंडसइंड को शामिल किया है जबकि यूबीएस व आईडीबीआई कैपिटल को छोड़ दिया है। मोतीलाल ओसवाल, क्रेडिट सुइस, ऐडलवाइस और हेटॉन्ग इस इश्यू के साथ जुड़ी रहेंगी।
चीन की क्रिटिक सीएलएसए रिलायंस निप्पॉन ऐसेट मैनेजमेंट के लीड बैंकरों में से एक थी, जिसका आईपीओ अंबानी समूह ने पिछली बार पेश किया था। अक्टूबर 2017 में संपत्ति प्रबंधन कंपनी के 1,540 करोड़ रुपये के आईपीओ को 80 गुने से ज्यादा आवेदन मिले थे। रिलायंस लाइफ एएमसी की तरह रिलायंस जनरल के आईपीओ में भी नई इक्विटी और रिलायंस कैपिटल की द्वितीयक शेयर बिक्री शामिल होगी।
इस इश्यू का कामकाज संभाल रहे एक निवेश बैंकर ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि समूह की कंपनियों को लेकर धारणा ठीक नहीं है। लेकिन हमें भरोसा है कि रिलायंस जनरल इच्छित रकम जुटाने में कामयाब होगी। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपनी ने उत्साहजनक बढ़ोतरी दर्ज की है।
कर्ज समस्या के समाधान के लिए रिलायंस कम्युनिकेशंस के एनसीएलटी चले जाने के बाद सोमवार को अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के शेयरों में 3.3 फीसदी से लेकर 35 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई। सातों कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण पर सोमवार को 6,310 करोड़ रुपये की चोट पड़ी। बढ़ते कर्ज के बीच पिछले एक साल में अनिल अंबानी समूह के बाजार पूंजीकरण में 58 फीसदी यानी 37,417 करोड़ रुपये की गिरावट आई है और यह 26,948 करोड़ रुपये रह गई है।
आईपीओ योजना संकेत दे रहा है कि आरकॉम समेत समूह की कंपनियों की कर्ज समस्या रिलायंस जनरल की तरफ नहीं फैलने का कंपनी को भरोसा है। एक बैंकर ने कहा, आईपीओ के जरिए जनरल इंश्योरेंस इकाई की कीमत 6,000 करोड़ रुपये से 8,000 करोड़ रुपये हो सकती है।