फंसे कर्ज के लिए उच्च प्रावधान के चलते आईडीबीआई बैंक की बैलेंस शीट पर दिसंबर 2018 में समाप्त तीसरी तिमाही में भी दबाव बना रहा। इसका शुद्ध नुकसान इस अवधि में बढ़कर 4,185 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1,524 करोड़ रुपये रहा था। बैंक का शेयर आज बीएसई पर 4 फीसदी की गिरावट के साथ 50 रुपये पर बंद हुआ। बैंक की शुद्ध ब्याज आय तिमाही में 19 फीसदी घटकर 1,357 करोड़ रुपये रह गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 1,666 करोड़ रुपये रही थी। इसकी अन्य आय दिसंबर तिमाही में 47 फीसदी घटकर 698 करोड़ रुपये रह गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 1,328 करोड़ रुपये रही थी। बैंक में अभी 51 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम के पास है और यह बैंक आरबीआई की त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के दायरे में है। फंसे कर्ज की समस्या से जूझ रहे ऐसे बैंकों पर बड़े कॉरपोरेट कर्ज देने, नई शाखाएं खोलने और नियुक्तियां करने पर पाबंदी होती है।इसकी उधारी नौ फीसदी घटकर तीसरी तिमाही में 1,86,550 करोड़ रुपये रह गई, जो पहले 2,04,768 करोड़ रुपये रही थी। इसकी जमाएं भी तीन फीसदी घटकर 2,29,966 करोड़ रुपये रही। बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता भी दबाव में रही। इसकी सकल गैर-निष्पादित आस्तियां दिसंबर 2018 के आखिर में 29.67 फीसदी रही। एनपीए के लिए इसका प्रावधान तीसरी तिमाही में 5,074 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 3,637 करोड़ रुपये रहा था। इसका शुद्ध एनपीए 14.01 फीसदी रहा। बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 12.51 फीसदी रहा, जो एक साल पहले 11.93 फीसदी रहा था।
