आरकॉम-जियो सौदे की बढ़ी उम्मीदें | |
आशिष आर्यन और सोहिनी दास / नई दिल्ली/मुंबई 02 04, 2019 | | | | |
► आरकॉम-जियो के बीच मतभेद खत्म होने तक दूरसंचार विभाग नहीं देगी सौदे पर हामी
► बैंक गारंटी लौटाने से जुड़े टीडीसैट के आदेश से आरकॉम को कुछ राहत
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के लिए सोमवार का दिन उतार-चढ़ाव वाला रहा। बाजार में कारोबार शुरू होते ही कंपनी का शेयर करीब 50 प्रतिशत तक लुढ़क गया। शुक्रवार को आरकॉम ने कहा था कि वह दिवालिया आवेदन करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी लॉ पंचाट (एनसीएलटी) जा रही है। कंपनी के इस बयान से शेयर औंधे मुंह गिरे। दूसरी तरफ सूत्रों ने दावा किया कि आरकॉम के एनसीएलटी जाने की घोषणा के बाद रिलायंस जियो संग स्पेक्ट्रम और फाइबर ऑप्टिक्स बेचने की उम्मीदें अब भी बरकरार है।
कंपनी ने कहा था कि एनसीएलटी में जाने की पहल से कर्ज के समाधान में मदद मिलेगी। पिछले 18 महीने से कंपनी कर्ज के समाधान का लक्ष्य पाने में विफल रही है। आरकॉम का शेयर सोमवार को कारोबार के अंत में 7.60 रुपये पर बंद हुआ। इससे पहले यह दिन में 5.6 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया था। जून, 2017 में कर्जमाफी प्रक्रिया शुरू होने के बाद कंपनी का शेयर करीब 65 प्रतिशत तक लुढ़क चुका है। हालांकि सोमवार को कंपनी को उस समय कुछ राहत मिली जब दूरसंचार विवाद निवारण एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) ने दूरसंचार विभाग को आरकॉम को 2,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी लौटाने का आदेश दिया। टीडीसैट ने यह भी कहा कि डीओटी द्वारा एक बारगी लिया जाने वाला स्पेक्ट्रम शुल्क भी अवैध था।
आरकॉम के सूत्रों ने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि ऋण समाधान प्रक्रिया में तेजी आएगी। सूत्रों ने कहा कि रिलायंस जियो के साथ समझौते पर डीओटी जल्द ही मंजूरी दे सकता है। एक सूत्र ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, 'मामला एनसीएलटी में जाने के बाद डीओटी की मंजूरी जल्द आ सकती है। चूंकि, मामला एनसीएलटी में पहुंच रहा है, इसलिए सौदा खारिज होने की आशंका कम ही लग रही है।'
अगस्त, 2018 में आरकॉम ने रिलायंस जियो को 3,000 करोड़ रुपये मूल्य की फाइबर एवं अन्य परिसंपत्तियां बेचने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। उसी महीने आरकॉम ने डीओटी के पास 774 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा कर दी थी और कहा था कि 25,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियां बेचने की प्रक्रिया पटरी पर है। दिसंबर, 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने आरकॉम को 1,400 करोड़ रुपये बैंक गारंटी देने के लिए कहा था। इसके बाद दूरसंचार विभाग को सात दिन के भीतर आरकॉम-रिलायंस जियो सौदे के लिए अपनी हामी भरनी पड़ी। हालांकि रियायंस जियो के पत्र के बाद विभाग ने अपनी सहमति वापस ले ली। पत्र में रिलायंस जियो ने सरकार से इस बात का आश्वासन मांगा था कि आरकॉम की स्पेक्ट्रम से जुड़ी पिछली बकाया रकम के लिए वह उत्तरदायी नहीं होगी। अब रिलायंस जियो ने परिसंपत्ति बिक्री समझौते की शर्तों की अवधि 6 महीने के लिए बढ़ा दी है। इससे पहले जनवरी में मुकेश अंबानी नियंत्रित रिलायंस जियो और अनिल अंबानी की आरकॉम उच्चतम न्यायालय में स्पेक्ट्रम उपयोगिता शुल्क के भुगतान पर आपस में भिड़ गईं।
आरकॉम ने डीओटी को 1,400 करोड़ रुपये की कॉर्पोरेट गारंटी देने की जरूर पेशकश की थी, लेकिन रिलायंस जियो ने कहा कि सौदा बढ़ाने के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं है। इस बीच, आरकॉम को रिलायंस जियो के साथ सौदा जल्द आगे बढऩे की उम्मीद है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि डीओटी अपने पुराने रुख पर कायम है और अपनी सहमति देने से पहले दोनों पक्षों के बीच मतभेद खत्म होने का इंतजार करेगा। सोमवार को ही कंपनी ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) का रुख किया और एरिक्सन इंडिया की दिवालिया याचिका पर अपनी आपत्ति वापस लेने की बात कही। एरिक्सन और आरकॉम एनसीएलएटी में एक समझौते पर सहमत हो गई थीं। हालांकि एनसीएलएटी ने कहा था कि अगर आरकॉम भुगतान करने में असफल रही तो एरिक्सन उसके खिलाफ दिवालिया याचिका दोबारा दायर कर सकती है।
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