चुनावों में नकद लेनदेन पर आयोग की नजर | |
श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 02 04, 2019 | | | | |
► विभिन्न एजेंसियों के साथ की बैठक
► उच्च स्तरीय समिति का किया गठन
► नाकों पर वाहनों की निगरानी बढ़ाने का आदेश
आदर्श आचार संहिता अभी लागू नहीं हुई है लेकिन चुनाव आयोग ने आम चुनावों में नकदी के अवैध प्रवाह को रोकने के लिए विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर एक व्यापक योजना तैयार की है। एक अधिकारी ने बताया कि दो फरवरी को आयोग ने आय कर विभाग और अन्य कानून तथा प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठक की। इन एजेंसियों को हर उम्मीदवार के चुनाव खर्च और नकदी के अवैध प्रवाह पर नजर रखने को कहा गया है। आय कर विभाग के पास दस लाख रुपये या उससे अधिक नकदी को जब्त करने का अधिकार है।
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने रेलवे, सीमा शुल्क और उत्पाद कर विभाग, परिवहन और पुलिस के प्रमुखों से मुलाकात की और एक उच्चस्तरीय निगरानी समिति का गठन किया। यह समिति चुनाव प्रचार से पहले और बाद हर गतिविधि पर नजर रखेगी। इसके तहत कर विभाग हर लेनदेन पर नजर रख रहा है जिसमें राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा भी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि कर अधिकारियों को राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की जांच करने को कहा गया है। अगर कोई नकदी के रूप में 2,000 रुपये से अधिक चंदा देता है तो उसे इसकी वजह बतानी होगी और उसे जांच से भी गुजरना पड़ सकता है।
अधिकारी ने कहा, 'कर विभाग इस बात पर नजर रखेगा कि चंदा किस रूप में दिया जा रहा है और कितना पैसा चुनावी बॉन्ड के रूप में आ रहा है। अगर जरूरत पड़ी तो कर विभाग बैंक द्वारा बेचे गए कुल बॉन्ड की कीमत और राजनीतिक दलों के खाते का मिलान करेगा।' पिछले साल कर विभाग ने एक परामर्श जारी किया था जिसमें बताया गया था कि किसी पंजीकृत राजनीतिक दल को कितना नकद चंदा दिया जा सकता है।
सरकार ने पिछले साल चुनावी बॉन्ड सुविधा शुरू की थी जो भारतीय स्टेट बैंक की कुछ चुनिंदा शाखाओं और कुछ अन्य बैंकों में उपलब्ध है। जन प्रतिनिधि कानून में राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे का खुलासा नहीं करने की छूट दी गई है लेकिन आयकर कानून के तहत उन्हें छूट का दावा करने के लिए बॉन्ड से प्राप्त कुल आय का खुलासा करना पड़ता है।
चुनाव आयोग ने सभी विभागों को लेनदेन पर नजर रखने के लिए 24 घंटे अपने उडऩ दस्ते, त्वरित प्रतिक्रिया दल और मशीनरी तैयार रखने को कहा है। आयोग ने संबंधित विभागों को देश के सभी नाकों पर निगरानी बढ़ाने और सभी तरह के वाहनों की जांच करने को कहा है। अलबत्ता प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि चुनावों के दौरान जितनी अवैध नकदी का लेनदेन होता है उसका केवल दस फीसदी की पकड़ में आता है। यही वजह है कि चुनाव आयोग उम्मीदवारों की खर्च की सीमा को व्यावहारिक बनाने की योजना बना रहा है और चंदे की राशि को भी सीमित करना चाहता है।
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