►एमएससीआई चाइना-ए शेयरों के लिए संभावना पैदा करने के लिए ईएम सूचकांक में भारत के भारांश में करेगा कमी
►अगस्त तक, एमएससीआई ईएम सूचकांक में चाइना-ए शेयरों का भारांक 0.7 के मौजूदा स्तर से तीन गुना बढ़कर 2.9 प्रतिशत हो जाएगा
चीन में सूचीबद्घ शेयर इस साल वैश्विक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह की भारत की भागीदारी में सेंध लगाएंगे। हालांकि तथाकथित चाइना-ए शेयरों को एमएससीआई और एफटीएसई रसेल द्वारा तैयार वैश्विक सूचकांकों में शामिल किए जाने की चर्चा कई वर्षों से चल रही थी, लेकिन यह घटनाक्रम निर्णायक तौर पर 2019 में महत्वपूर्ण साबित होगा। एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट (ईएम), एफटीएसई ईएम और एफटीएसई ग्लोबल ऑल कैप जैसे सूचकांकों पर करोड़ों डॉलर के पैसिव और ऐक्टिव फंडों द्वारा कारोबार किया जाता है।
अगस्त तक, एमएससीआई ईएम सूचकांक में चाइना-ए शेयरों का भारांक 0.7 के मौजूदा स्तर से तीना गुना बढ़कर 2.9 प्रतिशत हो जाएगा। इस बदलाव से भारत समेत अन्य देशों के भारांक में कटौती को बढ़ावा मिलेगा। मॉर्गन स्टैनली द्वारा कराए गए एक विश्लेषण में संकेत दिया गया है कि एमएससीआई ईएम सूचकांक में भारत का भारांक अगस्त 2019 तक 70 आधार अंक तक घटकर 8.7 प्रतिशत रह जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि इस गिरावट से भारत को लगभग 5 अरब डॉलर के वैश्विक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) प्रवाह गंवाना पड़ सकता है। इसके अलावा सक्रिय तौर पर प्रबंधित फंडों का भी चीन की तरफ ज्यादा प्रवाह देखा जा सकता है।
वैश्विक दबाव के बाद चीनी प्रशासन ने कुछ प्रतिबंधों में ढील दी है। इसकी शुरुआत एमएससीआई ईएम ने 5 प्रतिशत के इनक्लूजन फैक्टर के साथ की है। इसका मतलब है कि यदि 100 डॉलर के चाइना-ए शेयर इस सूचकांक में शामिल होने के योग्य पाए जाते हैं तो सिर्फ 5 डॉलर के शेयरों को ही इसमें शामिल होने की अनुमति होगी। हालांकि कुछ समय के बाद इनक्लूजन फैक्टर में इजाफा किया जाएगा। मॉर्गन स्टैनली के अनुसार, पहला ऐसा पुनर्संतुलन 31 मई को लागू किया जाएगा और तब इनक्लूजन फैक्टर मौजूदा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया जाएगा। दूसरा बदलाव 31 अगस्त को होगा और तब इस फैक्टर को 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाएगा।