समाधान योजनाओं को मंजूरी देने में कर्जदाताओं की सुस्ती, दबाव वाली संपत्तियों के मूल्यांकन को लेकर आम राय न होने और नकदी रखने वाले खरीदारों की कमी की वजह से बिजली क्षेत्र की 15 संपत्तियां दिवाला की ओर बढ़ रही हैं।भारतीय स्टेट बैंक ने नैशनल कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के बाहर दबाव वाली संपत्तियों के मामलों को निपटाने के लिए समाधान योजना पेश की थी, जो अब भूल भुलैया में फंस गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कुछ कर्जदाता जैसे सरकारी मालिकाना वाले बिजली वित्त निगम (पीएफसी) का कहना है कि वह अधिकतर संपत्तियां एनसीएलटी को भेज सकता है। सतत ऋण विवादास्पद मसला है और संपत्ति का मूल्यांकन रुक गया है क्योंकि कर्जदाता एक बंधे नियम से असहमत हैं।
पहले यह फैसला किया गया था कि परियोजना के सतत कर्ज की गणना 7 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट पूंजीगत लागत रखकर की जाए। इस महीने की शुरुआत में समाधान पर चर्चा के लिए हुई अंतिम बैठक में पीएफसी और अन्य कर्जदाताओं ने हेयरकट को लेकर आपत्ति जताई। एक अधिकारी ने कहा, 'ऐसे मामलों में जहां प्रवर्तकों ने एकमुश्त समाधान पेश किया है, हेयरकट 50 प्रतिशत से ज्यादा हो सकता है, जिस पर ज्यादा कर्जदाता सहमत नहीं हुए।'
बुधवार को इंडिया रेटिंग की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 2 गीगावॉट क्षमता की परियोजनाओं का समाधान हुआ है। इसमें कहा गया है, 'साफ तौर पर खरीदारों का ध्यान ऐसी संपत्ति पर है, जिन्होंने ईंधन आपूर्ति और दीर्घावधि बिजली खरीद समझौते किए हैं। सुझाव दिया गया हेयरकट बहुत ज्यादा होने की वजह से समाधान सुस्त बना हुआ है। कई कर्जदाता होने और पुरानी पूंजी के समाधान से जुड़े मसलों के कारण निर्माणाधीन परियोजनाओं के समाधान बहुत सुस्त है।'
हाल ही में चेन्नई की कोस्टल एनर्जेन के लिए इसका प्रवर्तक कोल ऐंड ऑयल ग्रुप एकमुश्त पेशकश की दौड़ में शामिल हुआ। सूत्रों ने कहा कि यह पेशकश हाल की अदाणी पावर की बोली से कम थी, जिससे कर्जदाताओं को ज्यादा भार सहना पड़ता। कोल ऐंड ऑयल ग्रुप बैंक भुगतान में चूक कर रहा है। एस्सार महान और रत्तन इंडिया नासिक के मामले में प्रवर्तकों ने एकमुश्त समाधान की पेशकश की और कर्जदाताओं ने कहा कि वह अपनी पेशकश को पुनरीक्षित करे।
एक बैंकर ने कहा, 'स्टेट बैंक अब दो संपत्तियों (जीएमआर छत्तीसगढ़ और केएसके महानदी) का समाधान सशक्त के माध्यम से करने पर विचार कर रहा है, जो इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट (आईसीए) के माध्यम से होगा। इसकी वजह यह है कि सभी कर्जदाताओं को एकमत कर पाना सिरदर्द हो गया है। आईसीए पर हस्ताक्षर करने वाले कर्जदाताओं के मामले में यह काम आसान है।' सशक्त केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है, जिसके माध्यम से दबाव वाली इकाइयों को सब्सिडी वाला कोयला मिलता है।
चार बार तिथि बढ़ाए जाने के बाद अदाणी पावर और जेएसडब्ल्यू एनर्जी को जीएमआर छत्तीसगढ़ की बोली के लिए छांटा गया था, लेकिन अंतिम विजेता के बारे में फैसला करना अभी बाकी है। केएसके के मामले में भी यही स्थिति है, जहां 24 कर्जदार आम राय बनाने में अक्षम हैं। कर्जदाताओं ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि इसे लेकर चिंता है कि जिन कंपनियों के पास नकदी नहीं है, वे दबाव वाली संपत्तियों के लिए बोली लगा रही हैं। एक कर्जदाता ने कहा, 'ऐसे में कर्ज की स्थिति पहले जैसी बनी रहेगी। ये नए कारोबारी हमारे पास कार्यशील पूंजी के लिए कर्ज मांगने आएंगे और 40-50 प्रतिशत छोडऩे के बाद यह स्थिति होगी।'
बैंकिंग के एक अधिकारी ने कहा कि सौदे की जांच को लेकर भी एक आशंका है, जो इस समय आम होता जा रहा है। उन्होंने कहा, 'एनसीएलटी का तरीका सबसे सुरक्षित है क्योंकि कानून का पालन किया जाता है। साथ ही सरकारी कंपनियां जैसे एनटीपीसी और एनएचपीसी इन संपत्तियों के लिए हिस्सा ले रही हैं।' ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) का 'परिवर्तन' कंपनियों की दबाव वाली संपत्ति के समाधान की एक और योजना है, जो एनसीएलटी में जाने वाली कंपनियों पर लागू होगा।
जयप्रकाश वेंचर्स की प्रयागराज पावर प्रोजेक्ट एकमात्र ऐसी परियोजना है, जिसका समाधान हुआ है और टाटा पावर और आईसीआईसीआई वेंचर्स के संयुक्त उद्यम रिसर्जेंट पावर इसे खरीद रही है। बिजली नियामक से इसकी मंजूरी की प्रतीक्षा है।