ज़ी की दौड़ में रिलायंस जियो! | |
प्रवर्तक घरेलू साझेदार को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार | विवेट सुजन पिंटो और रोमिता मजूमदार / मुंबई 01 28, 2019 | | | | |
► एमेजॉन, ऐपल, टेनसेंट और अलीबाबा के साथ भी चल रही है बातचीत
► ज़ी एंटरटेनमेंट में अपनी 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचेंगे चंद्रा
► 20 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से मिल सकते हैं 7,000 करोड़ रुपये
मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जियो ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज में प्रवर्तक सुभाष चंद्रा की आधी हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में शामिल हो सकती है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में एमेजॉन, ऐपल, टेनसेंट और अलीबाबा जैसी अंतरराष्ट्रीय दिग्गज हैं। इनके अलावा एटीऐंडटी, सिंगटेल, कॉमकास्ट और सोनी पिक्चर्स के नाम पर भी चर्चा चल रही है। नवंबर 2018 में ज़ी एंटरटेनमेंट के प्रवर्तकों ने कहा था कि वे अपनी 50 फीसदी तक हिस्सेदारी ऐसे वैश्विक रणनीतिक साझेदार को बेच सकते हैं, जिससे ज़ी एंटरटेनमेंट में बदलाव लाने तथा दीर्घावधि में अधिकतम मूल्य सृजन में मदद मिल सके।
प्रवर्तकों ने अब घरेलू निवेशकों पर भी विचार करना शुरू कर दिया है। ज़ी एंटरटेनमेंट के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी पुनीत गोयनका ने विश्लेषकों के साथ बातचीत में कहा कि वे कई संभावित साझेदारों से बात कर रहे हैं और सौदे की घोषणा अगले कुछ हफ्तों में की जा सकती है। उन्होंने कहा, 'हमारी पहली पसंद अंतरराष्ट्रीय दिग्गज हो सकते हैं क्योंकि उससे हमें वैश्विक स्तर पर, खास तौर पर यूरोप और अमेरिका में विस्तार करने में मदद मिलेगी। हालांकि हमने घरेलू निवेशकों को भी हिस्सेदारी बेचने का विकल्प खुला रखा है।'
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बीते समय में मीडिया एवं मनोरंजन के क्षेत्र में कई सौदे किए हैं। उन्होंने नेटवर्क 18 में 75 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है, वहीं जुलाई 2017 में बालाजी टेलीफिल्म्स में 24.9 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। जियो रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक इकाई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ज़ी एंटरटेनमेंट में निवेश कर ओटीटी और प्रसारण के क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को एकीकृत करने में सक्षम है। ज़ी का कंटेंट कंपनी के ओटीटी ऐप्स जैसे जियोटीवी और जियोसिनेमा के लिए भी मुफीद हो सकता है। दिल्ली की सलाहकार फर्म कालागाटो की हालिया रिपोर्ट के अनुसार सक्रिय यूजर (ओटीटी प्लेटफॉर्म पर) की हिस्सेदारी के लिहाज से जियोटीवी 18 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर, जबकि हॉटस्टार 40 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर काबिज है। ज़ी5 की बाजार हिस्सेदारी 12 फीसदी है। 2018 में नेटवर्क 18 के स्वामित्व वाली टीवी18 ने अमेरिका की वायोकॉम के साथ संयुक्त उपक्रम में हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 फीसदी कर ली, जिससे संयुक्त उपक्रम वायोकॉम18 के परिचालन का नियंत्रण नेटवर्क18 के पास आ गया।
ज़ी एंटरटेनमेंट के शेयर में शुक्रवार को 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जिससे प्रवर्तकों - सुभाष चंद्रा और उनके परिवार को अपनी हिस्सेदारी के बदले कम भुगतान प्र्राप्त होगा। चंद्रा और उनका परिवार कंपनी में अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की संभावना तलाश रहे हैं। वर्तमान में कंपनी में उनकी कुल हिस्सेदारी 41 फीसदी है।
विश्लेषकों ने कहा कि 20 फीसदी हिस्सेदारी का मूल्य करीब 7,000 करोड़ रुपये हो सकता है, जो दिसंबर के 10,000 करोड़ रुपये के मूल्यांकन से करीब 30 फीसदी कम है। ज़ी एंटरटेनमेंट में हिस्सेदारी खरीदने की योजना के बारे में पूछे जाने पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी मीडिया की अटकलों पर कोई टिप्पणी नहीं करती।
ज़ी एंटरटेनमेंट के प्रवक्ता ने कहा, 'इस स्तर पर हम संभावित साझेदार के नाम के बारे में कोई खुलासा करना नहीं चाहते।'मुकेश अंबानी की रणनीति में जियो ग्राहकों के मूल्यवर्धन के लिहाज से कंटेंट महत्त्वपूर्ण है। अंबानी ने 2018 की सालाना आम बैठक में कहा था, 'हमारा डिजिटल कनेक्टिविटी प्लेटफॉर्म हमारे मीडिया एवं मनोरंजन, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि प्लेटफॉर्म की बुनियाद होगी।' उन्होंने कहा कि इनमें से प्रत्येक का शेयरधारकों के मूल्य सृजन में अहम योगदान होगा। सूत्रों ने कहा कि ज़ी एंटरटेनमेंट में एमेजॉन के निवेश का मतलब होगा ज़ी 3 के माध्यम से ओटीटी ग्राहकों तक व्यापक पहुंच बनाना।
कालागाटो की रिपोर्ट में कहा गया है कि सक्रिय यूजर के लिहाज से एमेजॉन प्राइम वीडियो की हिस्सेदारी 1.43 फीसदी और नेटफ्लिक्स की हिस्सेदारी 2 फीसदी है। एलारा कैपिटल के उपाध्यक्ष, शोध विश्लेषक करण तुरानी ने कहा, 'डिजिटल प्रसारण परिदृश्य में तेजी से बदलाव को देखते हुए प्रवर्तकों द्वारा ज़ी में हिस्सेदारी बेचने के निर्णय पर विचार करना जरूरी हो गया है। पिछले कुछ वर्षों में ओटीटी क्षेत्र तेजी से उभरा है, जिससे ज़ी एंटरटेनमेंट को न केवल इस खंड में निवेश करने की जरूरत है बल्कि रणनीति साझेदार भी तलाशना होगा ताकि इस क्षेत्र में वचह अपनी स्थिति को मजबूती प्रदान कर सके।'
|