देश में मत्स्य उत्पादन और निर्यात को गति देने के मकसद से केंद्र और महाराष्ट्र सरकार मिलकर करंजा मत्स्य बंदरगाह का निर्माण करेंगी। करंजा मस्त्य बंदरगाह से ससून डॉक की निर्भरता कम होगी। इस कार्य के लिए केंद्र और राज्य ने 150 करोड़ रुपये की राशि को मंजूरी दी है। अनुमान लगाया जा रहा है इससे राज्य का मत्स्य उत्पादन 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। रायगड स्थित करंजा मत्स्य बंदरगाह केविकास के भूमिपूजन कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे विकास का इंजन बताते हुए कहा कि जिन देशों का विकास हुआ है वह समुद्र के रास्ते से ही हुआ है। इस बंदरगाह के कारण ससून डॉक पर निर्भरता कम होगी। केंद्र और राज्य ने इसके लिए 150 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की है। इस बंदरगाह पर एकीकृत मत्स्य केंद्र तैयार करने पर भी विचार किया जा रहा है। यहां ऐसी सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा ताकि मछली निर्यात संबंधी सभी प्रक्रियाओं को एक ही छत के नीचे पूरा किया जा सके। राज्य सरकार ससून डॉक का भी आधुनिकीकरण कर रही है। इस परियोजना के लिए केंद्र से महत्त्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है। सागरमाला योजना में महाराष्ट्र की सभी 42 परियोजनाओं में से 24 परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है और बाकी परियोजनाओं को भी जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। नीली क्रांति योजना के तहत 29 परियोजना को मंजूरी मिली है और 175 करोड़ रुपये भी प्राप्त हुए हैं। इससे राज्य का मत्स्य उत्पादन 10 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ाने में सफलता मिलेगी। फडणवीस ने कहा कि इन दिनों में महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड ने भी अपनी क्षमताओं को विकसित किया है। प्रवासी जल परिवहन कोभी गति दी जाएगी। केंद्रीय भूतल परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सागरमाला परियोजना में 16 लाख करोड़ रुपये का निवेश अपेक्षित है।
