पॉलिमर उत्पादकों ने बढ़ाए दाम | दिलीप कुमार झा / मुंबई January 24, 2019 | | | | |
पॉलिमर उत्पादकों ने पिछले एक महीने में दूसरी बार अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाई हैं। इसकी वजह कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी होना है। कच्चा तेल पॉलिमर के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला एकमात्र कच्चा माल है। कच्चे तेल की औसत कीमतें जनवरी में 2.5 से 3 फीसदी बढ़ी हैं, जबकि 2018 के अंतिम चार महीनों के दौरान कीमतों में भारी गिरावट आई थी। प्राथमिक पॉलिमर उत्पादकों ने अपने उत्पादों की कीमतें 1,000 रुपये तक बढ़ाई हैं। जनवरी के मध्य में भी कीमतों में इतनी ही बढ़ोतरी की गई थी। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण प्लास्टिक उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के दाम भी बढ़े हैं। प्लास्टिक विनिर्माण में इस्तेमाल वाले कच्चे माल में हाई डेंसिटी पॉलिएथीलीन (एचडीपीई), लॉ डेंसिटी पॉलिएथीलीन (एलडीपीई), लीनियर लॉ डेंसिटी पॉलिएथीलीन (एलएलडीपीई) और पॉलिवाइनल क्लोराइड (पीवीसी) आदि शामिल हैं।
हालांकि पॉलिमर की कीमतें बढऩे से प्लॉस्टिक विनिर्माताओं समेत उपयोगकर्ता उद्योगों का मुनाफा घट सकता है। हालांकि पॉलिमर कीमतों में बढ़ोतरी का ज्यादातर बोझ सफलतापूर्वक ग्राहकों पर डाल दिया गया है। लेकिन इस समय कमजोर मांग के कारण आने वाले समय में उपयोगकर्ता उद्योगों का लाभ मार्जिन घट सकता है। पीवीसी, हाई एïवं लो डेंसिटी पॉलिएथीलीन आदि ऐसे पॉलिमर हैं, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार का प्लास्टिक का सामान बनाने में होता है। इन पॉलिमर का उत्पादन रिफाइनरी कच्चे तेल से करती हैं। आम तौर पर पॉलिमर की कीमतें कच्चे तेल की चाल चलती हैं।
बड़े पॉलिमर उत्पादकों की दिल्ली की एक वितरक कंपनी ने कहा, 'प्रमुख पॉलिमर उत्पादकों ने कच्चे माल की बढ़ती लागत की भरपाई के लिए अपने उत्पादों की कीमतें 1,000 रुपये प्रति टन बढ़ा दी हैं।' हाल में ब्रेंट क्रूड़ तेल 50 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया था, लेकिन अब फिर से बढ़कर 60.5 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि कच्चे तेल की कीमतें हाल के अपने निचले स्तर से करीब 20 फीसदी बढ़ गई हैं। इसके नतीजतन पॉलिमर और प्लास्टिक के कच्चे माल समेत कच्चे तेल से बनने वाले की उत्पादों की कीमतों में इसी अनुपात में बढ़ोतरी हुई है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के एक विश्लेषक निहाल शाह ने कहा, 'जून-सितंबर, 2018 की अवधि के बाद कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसदी से अधिक गिरावट के बावजूद पीवीसी की कीमतें नवंबर के अंत तक मजबूत बनी रहीं। इनमें एक अक्टूबर तक 4 फीसदी गिरावट आई, जबकि अधिक गिरावट की उम्मीद थी। दो महीने के अंतराल के बाद पीवीसी की कीमतें 1 दिसंबर, 2018 को 2.5 फीसदी तक गिरीं। उद्योग को पीवीसी की कीमतों में और गिरावट की उम्मीद थी, लेकिन इसकी कीमतें 20 दिसंबर, 2018 को 2 फीसदी और 1 जनवरी, 2019 को 1.3 फीसदी बढ़ गईं। हमारा मानना है कि तिमाही के अंत से पहले के कुछ सप्ताहों के दौरान वितरकों के अपना स्टॉक पूरा करने की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी हुई। इस तरह हमारा अनुमान है कि पीवीसी पाइप उद्यमी सितंबर-दिसंबर, 2018 तिमाही में बिक्री में दो अंकों में बढ़ोतरी दर्ज करेंगे।'
पॉलिविनयल क्लोराइड (पीवीसी) की कीमतें गिरावट की उम्मीदों के विपरीत 3.3 फीसदी बढ़ी हैं। उत्पादकों ने दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में दो बार पीवीसी की कीमतें बढ़ाई हैं, जबकि इस दौरान कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई थी। प्राथमिक पॉलिमर उत्पादक कीमतों में बढ़ोतरी का रुझान बरकरार रखे हुए हैं। उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बाद पिछले सप्ताह में कीमतें 1,000 रुपये प्रति टन बढ़ाई हैं। पीवीसी की कीमतों के रुझान के विपरीत एचडीपीई, एलडीपीई, पॉलिप्रॉपलीन, पॉलिएथीलीन समेत अन्य पॉलिमर की कीमतों में सितंबर तिमाही के बाद 18 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।
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