गन्ना बकाया हुआ 19,000 करोड़ रुपये | दिलीप कुमार झा / मुंबई January 17, 2019 | | | | |
चीनी मिलों को उनकी वित्तीय समस्याओं से उबारने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई कई पहल के बावजूद उन पर गन्ना बकाया तेजी से बढ़ रहा है। चीनी मिलों पर 31 दिसंबर, 2018 तक यह बकाया 19,000 करोड़ रुपये का था। यह पिछले साल के समान महीने तक के बकाये की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। कुल गन्ना बकाया में लगभग 5,000 करोड़ रुपये पिछले साल से जुड़ गए हैं और शेष 14,000 करोड़ रुपये का बकाया चालू सीजन के 6 सप्ताह से भी कम समय का है। इस साल गन्ने की शानदार फसल की खबरों के बावजूद चीनी मिलों ने पेराई सत्र अक्टूबर 2018-सितंबर 2019 के लिए नवंबर 2018 की दूसरी छमाही में अपना परिचालन शुरू किया है।
दिलचस्प है कि चालू सीजन का गन्ना बकाया 31 दिसंबर, 2018 को पिछले साल की समान अवधि में दर्ज 9,000 करोड़ रुपये के दोगुने से भी अधिक हो गया। यदि मौजूदा हालात बरकरार रहे तो कुल गन्ना बकाया बढ़कर 40,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा, जैसा कि खाद्य मंत्रालय को इस उद्योग द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बकाया से संबंधित आंकड़े की पुष्टि करते हुए कहा कि अधिक उत्पादन और निर्यात संभावनाओं के अभाव की वजह से गन्ना बकाया दिनोदिन तेजी से बढ़ रहा है।
उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में भारत का चीनी उत्पादन 3.05 करोड़ टन पर रहने की उम्मीद जताई है, जो उसके 3.55 करोड़ टन के पहले अग्रिम अनुमान की तुलना में बड़ी गिरावट है। उद्योग जनवरी के अंत तक चीनी उत्पादन का संशोधित आंकड़ा जारी करेगा जिसके फिर से कमजोर रहने का अनुमान है। उद्योग का पिछला स्टॉक भारत की कुल 2.5 करोड़ टन की खपत के मुकाबले 1 करोड़ टन पर है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा, 'व्यस्त पेराई सत्र अभी शुरू हुआ है, जिसे देखते हुए सामान्य आकलन से संकेत मिलता है कि छह सप्ताह में 19,000 करोड़ रुपये का बकाया चालू पेराई सीजन की शेष तीन महीने की अवधि में बढ़कर 40,000-50,000 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है।'
भारत में चीनी उद्योग ने पिछले साल अप्रैल के मध्य में 25,000 करोड़ रुपये का सर्वाधिक गन्ना बकाया दर्ज किया। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'स्थिति चिंताजनक है। इसलिए, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ करने की जरूरत है कि चीनी मिलों को बेहतर प्राप्ति में मदद मिले और किसानों का गन्ना बकाया चुका दिया जाए।' चीनी मिलें सरकार को चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 5 रुपये तक बढ़ाकर 34 रुपये प्रति किलोग्राम करने का सुझाव पहले ही दे चुकी हैं। इस बीच, भारत में चीनी की कीमतें वैश्विक तेजी के बाद बढ़ रही हैं। जहां थोक बाजार में पिछले दो दिनों में चीनी की कीमत 50 रुपये तक बढ़कर 2,950 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई है, वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में, खासकर सूखे की वजह से ब्राजील में कम गन्ना उत्पादन अनुमान की वजह से 13 सेंट प्रति पाउंड के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गई है।
महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजय खटल ने कहा, 'घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार, दोनों में चीनी की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं। लेकिन मौजूदा कीमत वृद्घि से निर्यात धारणा में सुधार आया है। चीनी मिलें मौजूदा कीमत वृद्घि का लाभ उठाने के लिए वैश्विक खरीदारों के साथ अनुबंधों में तेजी ला सकती हैं।' खबरों में कहा गया है कि महाराष्ट्र में कई मिलों ने 50 प्रतिशत की पहली किस्त का भुगतान करने के बाद गन्ना किसानों को भुगतान रोक दिया है।
|