ईरान को सोया आहार निर्यात बढ़ा | रॉयटर्स / मुंबई January 16, 2019 | | | | |
भारत से ईरान को किए जाने वाले सोया आहार की बिक्री में तेजी आ रही है। तेल उत्पादन करने वाला यह देश अपने कच्चे तेल के निर्यात से प्राप्त रुपये का इस्तेमाल अपनी पशु आहार मांग पूरी करने के लिए कर रहा है। अमेरिकी प्रतिबंधों ने इस देश की आयात जरूरत पूरी करने की क्षमता को सीमित कर रखा है। अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद वैश्विक वित्तीय प्रणाली तक ईरान की पहुंच बाधित होने से वह दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता भारत को रुपये में भुगतान के आधार पर कच्चे तेल की बिक्री के लिए सहमत हो गया था। तेल समृद्ध यह देश इस रुपये को संभवत: भारतीय वस्तुओं पर ही खर्च करेगा तथा ईरान में घरेलू स्तर पर प्रोटीन से भरपूर सोयाबीन का उत्पादन नहीं होता है। पशु आहार के अधिक निर्यात से भारतीय सोयाबीन की कीमतों को प्रोत्साहन मिलेगा और इससे उन किसानों की शिकायतों में कमी आएगी जो कम कीमतों को लेकर सरकार से राहत की मांग कर रहे थे।
तिलहन प्रसंस्करणकर्ताओं के मुंबई स्थित औद्योगिक संगठन सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने हाल ही में कहा है कि मार्च में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ईरान को किया जाने वाला भारतीय सोयाबीन निर्यात बढ़कर 4,50,000 टन हो सकता है जो पिछले वित्त वर्ष में केवल 22,910 टन था। अगर प्रतिबंध कायम रहते हैं तो निर्यात अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 5,00,000 टन तक जा सकता है। मेहता ने कहा कि ईरान ने इन प्रतिबंधों की वजह से जोर-शोर से खरीद शुरू कर दी है और ऐसा लगता है कि आने वाले महीनों में वहां मांग बनी रहेगी।
नवंबर में शुरू हुए प्रतिबंधों से छह महीनों की छूट प्राप्त करने के बाद भारत ने ईरान को तेल आयात का भुगतान रुपये में करना शुरू कर दिया। भारत ईरान से तेल खरीदना जारी रखना चाहता है क्योंकि वह मुफ्त नौवहन और विस्तृत क्रेडिट अवधि की सुविधा प्रदान करता है। अलबत्ता ईरान रुपये के रूप में मिलने वाले इस धन का अधिकांश उपयोग भारत से किए जाने वाले निर्यात के भुगतान में ही करेगा। मध्य प्रदेश में इंदौर के एक निर्यातक ने कहा किअन्य खरीदारों की तुलना में ईरान 10 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान कर रहा है क्योंकि उसे अन्य विक्रेताओं से सोया आहार की सुरक्षित आपूर्ति केलिए जूझना पड़ रहा है।
पिछले अमेरिकी प्रतिबंधों के दौरान भारत ने ईरानी तेल का 45 प्रतिशत भुगतान रुपये में और शेष यूरो में करना तय किया था। लेकिन इस बार भारत ईरान के साथ अपना व्यापार घाटा कम करने के लिए सारा भुगतान रुपये में करना चाहता था। ईरान का निर्यात ऑर्डर पूरा करने के लिए तेल मिलों ने तिलहन खरीद शुरू कर दी है जिससे सोयाबीन के स्थानीय दामों में केवल तीन सप्ताह में ही 10 प्रतिशत की उछाल आई है। हालांकि सोयाबीन के दामों में भी उछाल आई है। इससे दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, वियतनाम तथा बांग्लादेश जैसे पारंपरिक खरीदारों के लिए भारतीय निर्यात कम आकर्षक हो गया है। वैश्विक व्यापारिक कंपनी के मुंबई के एक डीलर ने कहा कि भारतीय सोया आहार फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) आधार पर लगभग 400 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध है जबकि दक्षिण अमेरिकी आपूर्ति 330 डॉलर में हो रही है। आने वाले महीनों में थाइलैंड और वियतनाम, ब्राजील तथा अर्जेंटीना का रुख कर सकते हैं। ढुलाई लागत ज्यादा होने के बावजूद उनकी आपूर्ति अधिक सस्ती है।
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