भारत में आगामी लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों के बीच रोमांचक मुकाबला होने जा रहा है। करीब 10 लाख मतदान स्थलों पर चुनाव के साथ ही सोशल मीडिया इस लड़ाई का प्रमुख केंद्र होगा। प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक का कहना है कि वह इस मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार है। फेसबुक के लिए फर्जी खबरों और हेट स्पीच की जांच करना, विज्ञापनों में पारदर्शिता और प्लेटफॉर्म की प्रमाणिकता बनाए रखना बड़ी चुनौती होंगी। हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान फेसबुक ने अपनी टीम का विस्तार किया था और आगामी आम चुनावों के मद्देनजर कंपनी चुनाव प्रमुख के साथ कई अन्य पदों पर नियुक्तियां कर सकती है। चुनाव तैयारी के मद्देनजर कंपनी भारत के परिप्रेक्ष्य में अपने वैश्विक मानकों की जांच कर रही है जिसमें जातिसूचक शब्दों पर लाल निशान लगाने जैसी कई अन्य विशेषताएं जोड़ी गई हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में फेसबुक की निदेशक (वैश्विक राजनीति और सरकारी पहुंच) कैटी हार्बथ ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने हाल में ब्राजील, बांग्लादेश चुनाव, भारत में राज्य विधानसभा चुनाव तथा अमेरिका में मध्यावधि चुनावों से मिली सीख लागू की है। कैटी बांग्लादेश चुनाव के समय का एक उदाहरण देते हुए बताती हैं कि वहां कंपनी ने दुर्भावनापूर्ण व्यवहार करने के चलते नौ फेसबुक पेज और छह अकाउंट हटा दिए। दिलचस्प बात यह है कि ये गतिविधियां बांग्लादेश में सत्ताधारी दल के इशारे पर की जा रही थीं। उन्होंने कहा, 'हमारे साथ काम कर रही जोखिम प्रबंधन कंपनी ग्राफिका द्वारा जानकारी देने के बाद हमने जांच शुरू की। हमने पाया कि इन फेसबुक पेज को स्वतंत्र खबर प्रसारित करने वाला पेज बताकर तैयार किया गया लेकिन इसमें सरकार के पक्ष में और विपक्ष के खिलाफ कई संदेश पोस्ट किए गए थे।'उन्होंने बताया, 'हमारी जांच में पता चला कि इन पेज पर सक्रिय लोग बांग्लादेश सरकार से जुड़े हुए हैं। गलतबयानी नीति के तहत फेसबुक पर इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है क्योंकि हम नहीं चाहते कि लोगों को जोड़कर बनाए गए समूह या पेज अपने बारे में और अपने काम के बारे में दूसरे लोगों को भ्रमित करें।' कैटी ने कहा कि फेसबुक लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और कंपनी पूरे विश्व में आगामी चुनावों की अखंडता बनाए रखने के लिए कई कदम उठा रही है। वह बताती हैं, 'हम अवैध गतिविधियों से जुड़ी सामग्री को लगातार साफ कर रहे हैं और पिछले कुछ महीनों में हमारी नीतियों का उल्लंघन करने वाले बहुत से अप्रमाणिक अकाउंट को हटा दिया है। रोजाना हम 10 लाख से अधिक फर्जी अकाउंट को ब्लॉक या अक्षम कर रहे हैं।' वह भारत में चुनाव अधिकारी और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मिलने के लिए भारत आई थीं। कैटी ने बताया कि फेसबुक का उद्देश्य चुनावों के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाना है जिससे चुनाव के दौरान इस प्लेटफॉर्म की सहायता से चुनावों को किसी भी तरह प्रभावित नहीं किया जा सके। वह कहती हैं, 'ऐसा करने के लिए फिलहाल हमने सुरक्षा आदि विषयों पर काम करने के लिए पूरे विश्व में अपने कर्मचारियों की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 30,000 कर दी है।' फेसबुक ने अपनी क्षमताओं और सुरक्षा प्रणाली में विस्तार किया है। कैटी बताती हैं, 'पिछले कुछ महीनों से चुनावों के लिए हम पूरी तैयारी में लगे हैं। कंपनी मानकों का पालन ना करने वाली सामग्री हटाना, गलत या भ्रामक खबरों की रैंक कम करना और न्यूज फीड में फोटो, वीडियो या लेख के जरिये भ्रामक जानकारी अथवा स्पैम आदि को हटा रही है।' कैटी ने कहा कि भारत में फेसबुक की बहुत अधिक पहुंच है। कंपनी चुनौतियों तथा उनके निदान के लिए निर्वाचन आयोग के साथ बातचीत कर रही है। वह कहती हैं, 'भारत में हमने बूमलिव और एफपी के साथ साझेदारी की है। हमने गलत जानकारी के विस्तार को रोकने के लिए अपनी रणनीति में विस्तार किया है और इसके लिए कई थर्ड पार्टी साझेदारियां भी की हैं।' वह बताती हैं कि आगामी चुनावों के मद्देनजर कंपनी लोगों को गलत जानकारी और विज्ञापनों की जांच करने के बारे में जानकारी दे रही है। कैटी कहती हैं, 'हमने स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर 500 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसके तहत एक लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया। साथ ही, इन विषयों पर 2,000 से अधिक वीडियो बनाए गए जिन्हें 40 लाख से अधिक बार देखा गया है।' फेसबुक ने भारत में 16 भाषाओं में स्वचलित अनुवाद सेवा उपलब्ध करा रही है। पिछले वर्ष कंपनी ने जयपुर में आयोजित एकता न्यूजरूम को भी सपोर्ट किया था जिसके तहत देशभर के संपादकों के साथ मिलकर गलत खबरों से निपटने और आंकड़ों की सत्यता की जांच करने से संबंधित पहल की गई थी। कैटी कहती हैं, 'हम 2018 में हुए चुनावों से मिलने वाली सीख का विश्लेषण कर रहे हैं। फेसबुक के लिए भारत में होने वाले चुनाव शीर्ष वरीयता पर हैं और इस प्लेटफॉर्म पर चुनावों की प्रमाणिकता बरकरार रखने के लिए हम सभी तरह की मदद मुहैया कराएंगे।' उन्होंने कहा कि लोग फेसबुक पर सटीक जानकारी चाहते हैं, विशेषकर चुनावों के संदर्भ में। कंपनी राजनीतिक विज्ञापनों में अधिक पारदर्शिता लाने पर काम कर रही है। वह बताती हैं कि फेसबुक ने अमेरिका, ब्राजील और ब्रिटेन में ये पहल शुरू की हैं और अब आने वाले कुछ सप्ताह में भारत में भी इसकी शुरुआत की जाएगी। भारत में फेसबुक पर राजनीति संबंधी प्रचार करने वाले व्यक्ति को विज्ञापन प्रसारित करने से पहले अपनी पहचान, स्थान और कई दूसरी जानकारियां सत्यापित करानी होंगी। कंपनी सभी राजनीतिक विज्ञापनों पर एक डिस्क्लेमर दिखाएगी जिसमें विज्ञापन जारी करने वाले की पहचान और दूसरी कई जानकारियां शामिल होंगी। फेसबुक एक ऑनलाइन लाइब्रेरी बनाएगी जिसमें सभी राजनीतिक विज्ञापनों से जुड़ी जानकारी, उससे जुड़े व्यक्ति की जानकारी, विज्ञापन की पहुंच और संबंधित भौगोलिक क्षेत्र की जानकारी शामिल होगी। फेसबुक का कहना है, 'विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने से हम भारत में होने वाले चुनाव में विदेशी व्यवधानों का सामना बेहतर तरीके से कर सकेंगे।'
