एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने सरकार की ओर से सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) की दिशा में उठाए गए किसी भी कदम का समर्थन किया है, लेकिन कहा है कि यह आकलन किए जाने की जरूरत है कि इसे किस तरह से प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा। बहरहाल बैंक ने कृषि कर्ज माफी को लेकर संदेह जताया है और कहा है कि इसकी जगह तेलंगाना की रैयत बंधु और ओडिशा की कालिया स्कीमों का विश्लेषण किया जाना चाहिए, जिससे संकट से गुजर रहे किसानों को सहायता पहुंचाई जा सके। एडीबी के कंट्री डायरेक्टर केनिचि योकोयामा ने संवाददाताओं से यह भी कहा कि बहुपक्षीय एजेंसी ने यह भी कहा कि वह 2019 में भारत को अपनी ओर से वित्तपोषण बढ़ाकर 4.5 अरब डॉलर (करीब 31,500 रुपये) करेगी।उन्होंने कहा कि भारत के पास आधार के माध्यम से प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण मुहैया कराने का प्लेटफॉर्म है। बहरहाल एक विश्लेषण किया जाना चाहिए कि यूबीआई कैसे प्रभावी तरीके से लागू की जा सकती है। योकोयामा ने कहा, 'यूबीआई इस समय बहस का अहम मसला बन गया है। एडीबी लक्ष्यित लोगों के समूह को सीधे धन हस्तांतरण की वकालत करता है।' उन्होंने कहा कि अगर सब्सिडी को तर्कसंगत बना दिया जाए तो यूबीआई सही दिशा में एक कदम है। राजकोषीय घाटे को लेकर दबाव के बारे में पूछे जाने पर योकोयामा ने कहा कि सरकार द्वारा लक्ष्य हासिल किए जाने को लेकर एडीबी को कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इसके लिए एक साफ ढांचा है और वित्तीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत इसे अनिवार्य बनाया गया है। हमें इसे लेकर कोई संदेह नहीं है।' केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का 3.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटा होने का लक्ष्य रखा है, जो 2017-18 वित्त वर्ष के 3.5 प्रतिशत से कम है। पिछले महीने वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्वास जताया था कि चालू वित्त वर्ष में 3.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।योकोयामा ने कहा कि कृषि कर्ज माफी आर्थिक सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे कृषि क्षेत्र के संकट से प्रभावी तरीके से नहीं निपटा जा सकता है। योकोयामा ने कहा कि आर्थिक सिद्धांत और नैतिक खतरे को लेकर ज्यादातर लोग इस पर संदेह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'कृषि क्षेत्र के संकट का समाधान किए जाने की जरूरत है। लेकिन आर्थिक सिद्धांत के मुताबिक कृषि कर्ज माफी कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने के लिए प्रभावी साधन नहीं है।' उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसी कर्जमाफी को लेकर आत्ति जताई है। यह राजनीतिक विकल्प हो सकता है, लेकिन आर्थिक हिसाब से यह कम अवधि का समाधान है। उन्होंने कहा कि इसकी जगत तेलंगाना और ओडिशा की ओर से पेश की गई योजनाओं के प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए। इस सप्ताह की शुरुआत में रिजïर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आम कृषि कर्ज माफी से कर्ज संस्कृति प्रभावित होती है। उन्होंने कहा था कि कर्ज माफी संबंधित राज्य के वित्त से जुड़ा मामला होता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कृषि कर्ज करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये है, जिसे माफ करने की घोषणा हाल में की गई है। एडीबी द्वारा भारत को दिए जाने वाले कर्ज के बारे में उन्होंने कहा, 'वित्तपोषण (भारत को) मोटे तौर पर बढ़कर 2019 में 4.5 अरब रुपये हो सकता है।' उन्होंने आगे कहा कि 3.5 अरब डॉलर सॉवरिन ऋण होगा जबकि 1 अरब डॉलर निजी क्षेत्र के लिए होगा। एडीबी ने 2018 में भारत को 3.03 अरब डॉलर सॉवरिन ऋण देने की प्रतिबद्धता जताई थी, जो कर्ज देने की सबसे बड़ी सालाना प्रतिबद्धता थी, उन्होंने कहा कि 55.7 करोड़ डॉलर कर्ज निजी क्षेत्र के लिए था। योकोयामा ने कहा कि वित्तपोषण देश में परियोजनाओं की तैयारी पर निर्भर होगा।
