ओएनजीसी की दो सहायक कंपनियों मंगलूर रिफाइनरीज ऐंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) का विलय इस वित्त वर्ष में शायद नहीं हो पाएगा। सूत्रों के मुताबिक, एमआरपीएल के निदेशक मंडल ने अभी इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है। इसके अलावा कंपनियों ने अभी तक इस संबंध में कंसल्टेंट की नियुक्ति नहीं की है। इन वजहों से यह करीब-करीब निश्चित है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान यह सौदा शायद ही हो पाएगा।
सूत्रों ने कहा, इस रफ्तार से 2018-19 में यह सौदा शायद ही हो पाएगा। एमआरपीएल के निदेशक मंडल ने न तो इस प्रस्ताव पर विचार किया है और न ही इस बाबत कंसल्टेंट की नियुक्ति की गई है। अभी ओएनजीसी के पास एमआरपीएल की 71.63 फीसदी हिस्सेदारी है, वही एचपीसीएल के पास 16.96 फीसदी, ऐसे में कुल सरकारी हिस्सेदारी 88.58 फीसदी है।
दिलचस्प रूप से एमआरपीएल 30 सार्वजनिक उपक्रमों की उस सूची में शामिल है, जिसे बाजार नियामक सेबी की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों का अनुपालन अभी करना बाकी है। सेबी के नियमों के मुताबिक, कंपनियों को 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता बनाए रखनी होती है और इस नियम का अनुपालन न करने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों को नियामक दंडित भी कर चुका है। मंगलोर की रिफाइनर को इस नियम का अनुपालन अगस्त में करना था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है।
उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक, एचपीसीएल इस सौदे के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार करेगी, जिसमें ओएनजीसी के शेयरों की खरीद, शेयरों की अदला-बदली का सौदा या दोनों शामिल है। एमआरपीएल के मौजूदा बाजार पूंजीकरण के आधार पर एचपीसीएल की खरीद लागत करीब 9,000 करोड़ रुपये होगी।
हालांकि उद्योग के विशेषज्ञों का नजरिया संभावित जुड़ाव को लेकर तेजी का है। एचपीसीएल व एमआरपीएल की संयुक्त इकाई की रिफाइनिंग क्षमता 3.5 करोड़ टन है और खुदरा नेटवर्क करीब 15,000 है। विशेषज्ञों ने कहा कि एमआरपीएल व एचपीसीएल के प्रस्तावित विलय से एचपीसीएल-ओएनजीसी के पहले के सौदे में वैल्यू जोड़ेगी और इस दिग्गज के लिए ड्रिलिंग से पूरे वैल्यू चेन को सरल व कारगर बना देगी। ओएनजीसी ने एचपीसीएल में सरकार की 51.11 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण पिछले साल 36,915 करोड़ रुपये किया।
अमेरिकी कंसल्टिंग फर्म स्ट्रेटाज एडवाइजर्स के प्रबंधक अंशुमन अग्रवाल ने कहा, एचपीसीएल व एमआरपीएल से जुड़ाव से मिलने वाले फायदे में पश्चिमी तट पर मालभाड़े का फायदा शामिल है और इसके तहत दोनों रिफाइनरियों के लिए दोनों मिलकर कच्चे तेल का आयात करेंगी।