बिहार में ओला और उबर जैसी टैक्सी सेवा कंपनियों को अब राज्य सरकार से लाइसेंस लेना होगा। इन कंपनियों को राज्य में कारोबार करने के लिए परिवहन विभाग की ओर से जारी नियमावली का भी पालन करना होगा। इन नियमों के दायरे में मोटरसाइकिल टैक्सी सेवा देने वाली कंपनियों में भी रखा गया है।
राज्य में मोबाइल ऐप आधारित टैक्सी सेवा प्रदाताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए बिहार सरकार बीते साल से ही इन पर नकेल कसने में जुटी थी। बीते साल जुलाई में एक समग्र नीति बनाने का फैसला लिया था, जिसका मसौदा सितंबर में तैयार हो गया था। परिवहन विभाग ने इस नीति को गुरुवार को अधिसूचित कर दिया। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इससे पहले इस कारोबार पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं था। इन नियमों के जरिये इस कारोबार को नियमित किया जाएगा।
इस नीति के अब राज्य में टैक्सी सेवा मुहैया कराने के लिए कंपनियों को परिवहन विभाग से लाइसेंस लेना होगा। इस बारे में कंपनियों को निबंधन के कागजात और जीएसटी पंजीकरण का ब्योरा भी सरकार को देना होगा। इसके अलावा कंपनी को अपने कॉल सेंटर, वेबसाइट और मोबाइल ऐप से जुड़ी पूरी जानकारी भी सरकार को देनी होगी।
राज्य सरकार टैक्सी सेवा के लिए तीन वर्षों का लाइसेंस देगी। इस लाइसेंस को लेने के लिए कंपनी को बीते एक साल की ऑडिट रिपोर्ट भी राज्य सरकार को देना होगा। सभी वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र, व्यावसायिक निबंधन प्रमाणपत्र, बीमा, प्रदूषण प्रमाणपत्र हासिल करने करने की जिम्मेदारी भी कंपनी को लेनी होगी। साथ ही, मोटरसाइकिल टैक्सी सेवा के तहत एक से ज्यादा यात्री को बिठाने की अनुमति नहीं होगी। इस नीति के तहत दूसरे राज्यों से निबंधित वाहनों का बिहार में संचालन की अनुमति नहीं होगी। इन सभी वाहनों में जीपीएस भी लगाना अनिवार्य होगा।
इसके साथ चालकों का पूरा रिकॉर्ड भी इन कंपनियों को रखना होगा और ड्राइवरों के लिए व्यावसायिक लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। कारों में जिला परिवहन कार्यालय, पुलिस और महिला हेल्पलाइन का नंबर प्रमुखता से प्रदर्शिता करना अनिवार्य होगा।