विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट की वजह से देश का औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार नवंबर में घटकर 0.5 फीसदी रह गई, जोकि इसका 17 माह का निचला स्तर है। अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) 11 माह के उच्च स्तर 8.4 फीसदी पर था। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि त्योहारी मौसम के बाद सुस्ती और अधिक आधार प्रभाव के कारण आईआईपी वृद्घि में गिरावट आई है। नवंबर 2017 में आईआईपी की वृद्घि दर 8.5 फीसदी रही थी।
चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से नवंबर की अवधि में औद्योगिक उत्पादन की औसत वृद्धि दर 5 फीसदी रही है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 3.2 फीसदी रही थी।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 77.6 फीसदी है, लेकिन नवंबर में इसमें 0.4 फीसदी की गिरावट आई जबकि अक्टूबर में इसमें 8.24 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी। अक्टूबर में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्घि दर सितंबर के 4.6 फीसदी के मुकाबले करीब दोगुनी रही थी। आंकड़ों से संकेत मिलता है कि आगे भी आईआईपी में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बिजली और खनन क्षेत्र का प्रदर्शन भी नंबवर में अक्टूबर की तुलना में कम रहा।
बिजली उत्पादन नंवबर में 5.1 फीसदी बढ़ा, जबकि अक्टूबर में इसमें 10.8 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई थी। दूसरी ओर खनन उत्पादन महज 2.7 फीसदी बढ़ा जबकि अक्टूबर में इसमें 7.24 फीसदी की तेजी आई थी। येस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव ने कहा, 'आईआईपी के आंकड़ों ने निराश किया है। हालांकि प्रतिकूल आधार और त्योहारों के बाद की नरमी से आईआईपी वृद्घि उम्मीद से भी कम रही।'
विनिर्माण के 23 उप-क्षेत्रों में से 13 में सालाना आधार पर गिरावट दर्ज की गई। धातु, वाहन आदि क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन से भी आईआईपी वृद्घि दर में कमी आई। हालांकि कंप्यूटर हार्डवेयर के उत्पादन में अच्छी वृद्घि देखी गई। पूंजीगत वस्तुओं के क्षेत्र में लगभग सभी खंड के उत्पादन में तेज गिरावट आई जिससे आईआईपी में नरमी देखी गई। हालांकि अक्टूबर माह में इस खंड में 17 फीसदी की शानदार उछाल देखी गई थी। दिलचस्प है कि नवंबर में नकारात्मक स्तर पर पहुंचने से पहले चालू वित्त वर्ष के सभी महीनों में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में वृद्घि दर्ज की गई थी।