बिड़ला सन लाइफ एमएफ को भरोसा, सुधरेगा विदेशी निवेश | जश कृपलानी / मुंबई January 10, 2019 | | | | |
साल 2018 में भारतीय इक्विटी बाजारों ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की तरफ से साल 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद सबसे बड़ी निकासी का सामना किया। लेकिन देसी फंड हाउस आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के मुताबिक, आने वाले समय में एफआईआई निवेश में सुधार हो सकता है। साल 2019 के लिए इक्विटी परिदृश्य साझा करते हुए आदित्य बिड़ला सन लाइफ एमएफ के उप-प्रमुख निवेश अधिकारी (इक्विटी) महेश पाटिल ने कहा, भारत में आर्थिक हालात में सुधार के दम पर एफआईआई निवेश पलट सकता है। पाटिल ने कहा, तेल की कीमतों में नरमी के साथ चालू खाते का घाटा सुधरेगा और भुगतान संतुलन की स्थिति भी बेहतर होगी।
फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी ए बालासुब्रमण्यन ने कहा, विदेशी निवेश में सुधार और देसी म्युचुअल फंडों की तरफ से करीब 10,000 करोड़ रुपये के मासिक निवेश से बाजारों को सहारा मिलेगा। हालांकि फंड हाउस के अधिकारियों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर नकदी की स्थिति सख्त होने की संभावना है। उन्होंने इस सख्ती की वजह वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से मात्रात्मक सहजता की वापसी को बताया। वैश्विक स्तर पर नकदी में सख्ती से प्राइस टु अर्निंग गुणक घटेगा। पाटिल ने कहा, पिछले दो सालोंं में कंपनियों का पीई गुणक ज्यादा नकदी के चलते बढ़ा था।
फंड हाउस हालांकि वित्त वर्ष 2020 में ठीक-ठाक आय को लेकर सकारात्मक है, लेकिन बाजार का रिटर्न कम रहने की संभावना है क्योंकि पीई में आई गिरावट का असर यहां दिखेगा। फंड हाउस को लग रहा है कि निफ्टी की आय वित्त वर्ष 2020 में 24 फीसदी बढ़ेगी। निफ्टी की आय (कॉरपोरेट बैंकों को छोड़कर) 15 फीसदी बढऩे की उम्मीद है, जिसके बारे में पाटिल का कहना है कि यह लक्ष्य हासिल हो सकता है। फंड हाउस के मुताबिक, कॉरपोरेट बैंकों में मजबूत बढ़ोतरी की संभावना है क्योंंकि उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता सुधर रही है और दिवालिया संहिता के तहत समाधान में प्रगति हो रही है।
आईबीसी को बैंकों के लिए अहम बताते हुए उप-प्रमुख निवेश अधिकारी (फिक्स्ड इनकम) मनीष डांगी ने कहा कि आईबीसी के प्रभावी होने के बाद बैंकों की औसत रिकवरी दर करीब 60 फीसदी रही है। उन्होंने कहा कि देसी नकदी की स्थिति भारतीय रिजर्व बैंक की खुले बाजार की प्रक्रिया (ओएमओ) से इसमें सुधार की संभावना है।
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