छत्तीसगढ़ की ई-निविदा व्यवस्था में गंभीर खामियां | आर कृष्णा दास / रायपुर January 10, 2019 | | | | |
छत्तीसगढ़ की बहुप्रचारित ई-खरीद व्यवस्था जांच के दायरे में आ गई क्योंकि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) का कहना है कि इसमें गंभीर खामियां हैं। अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच राज्य के 17 विभागों ने 4,601 करोड़ रुपये की 1921 निविदाएं जारी की थीं। निविदा के ब्योरे को कुल 74 कंप्यूटरों से अपलोड किया गया था। छत्तीसगढ़ के मुख्य महालेखाकार (ऑडिट) विजय कुमार मोहंती ने कहा, 'एक या एक से अधिक बोलीदाताओं ने अपनी बोली लगाने के लिए इन कंप्यूटरों का इस्तेमाल किया था।' सामान्य, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के लिए 31 मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के लिए सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ की ई-निविदा और खरीद प्रक्रिया में गंभीर खामियों हैं। इस रिपोर्ट को आज विधानसभा में पेश किया गया।
मोहंती ने कहा कि 477 बोलीदाताओं ने कम से कम से सरकारी अधिकारी के साथ साझा कंप्यूटरों का इस्तेमाल किया और उन्हें 961.26 करोड़ रुपये के ठेके दिए गए। उन्होंने कहा, 'आश्चर्य की बात है कि जिस व्यवस्था में इस तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए इनबिल्ट बिजनेस इंटेलीजेंस मॉड्यूल लगाया गया था, वह इन खामियों को पकडऩे में नाकाम रही।' इन खामियों से यह संकेत मिला कि बोलीदाताओं और बोलियों की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों के बीच बोली प्रक्रिया से पहले से ही साठगांठ थी। कई बोलीदाताओं ने एक ही ईमेल-आईडी का इस्तेमाल किया जिससे यह पूरी व्यवस्था विश्वसनीय नहीं रही। जल संसाधन विभाग ने 10 निविदाओं को इस आधार पर रद्द कर दिया कि इसमें अधिकारियों और बोलीदाताओं ने आपस में सांठगांठ करके एक ही कंप्यूटर इस्तेमाल किया था। विभाग ने इस मामले में नोडल एजेंसी छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी (चिप्स) से एहतियाती कदम उठाने को कहा। लेकिन चिप्स ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया।
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