ओवीएल की सूचीबद्धता की योजना पर संकट | शाइन जैकब / नई दिल्ली January 09, 2019 | | | | |
पिछले महीने जब ओएनजीसी के निदेशक मंडल ने ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) की सूचीबद्धता की इजाजत नहीं दी थी तब इसने प्रमुख अवरोध के तौर पर मोजांबिक में उत्पादन शुरू होने के मामले को रेखांकित किया था। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, इस परियोजना पर निवेश का अंतिम फैसला इस तिमाही में होने की संभावना है। बिना कोई समयसीमा बताए ओवीएल के प्रबंध निदेशक एन के शर्मा ने कहा, इस पर जल्द फैसला हो सकता है। निवेश के अंतिम फैसले के बाद परियोजना को उत्पादन शुरू करने में कम से कम 38-40 महीने लगेंगे। निवेश व सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) मौजूदा वित्त वर्ष के 80,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए ओएनजीसी की इकाई को सूचीबद्ध कराने पर जोर दे रहा है। 28 दिसंबर तक सरकार ने विनिवेश के जरिए सिर्फ 34,142.35 करोड़ रुपये जुटाए हैं। चूंकि अब एक तिमाही ही बचे हैं, वह कुछ और पीएसयू को सूचीबद्ध कराने पर जोर दे रही है।
इसके लिए ओएनजीसी बोर्ड ने कहा है कि प्रमुख परिसंपत्तियों मसलन मोजांबिक में तेल व गैस की खोज व उत्पादन शुरू करने के लिए बाजार की स्थितियां ठीक नहीं है और यहां 2022 में ही उïत्पादन शुरू हो पाएगा। रोवूमा एरिया-1 ऑफशोर ब्लॉक के गोलफिन्हो एटम फील्ड को विकसित करने के लिए ओवीएल करीब 4.5 अरब डॉलर निवेश कर सकती है। यह अफ्रीका में सबसे बड़े प्राकृतिक गैस परियोजनाओं में से एक है, जिसकी क्षमता 1.2 करोड़ टन सालाना है। तरलीकृत प्राकृतिक गैस परियोनजा की परिचालक एनाडार्को है और इसके पास 26.5 फीसदी हिस्सेदारी है। अन्य कंपनियों में जापानी कंपनी मित्सुई (20 फीसदी), थाइलैंड की पीटीटी (8.5 फीसदी), तीन भारतीय कंपनियों ओएनजीसी विदेश (16 फीसदी), भारत पेट्रो रिसोर्सेस (10 फीसदी) और ऑयल इंडिया (4 फीसदी) के अलावा मोजांबिक की नैशनल हाइड्रोकार्बन कंपनी ईएनएच (15 फीसदी) की हिस्सेदारी है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इस परियोजना में करीब 12 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है और 1.2 करोड़ टन सालाना उत्पादन क्षमता वाली इस परियोजना में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है। निवेश पर फैसला लेने में देर हो रही है क्योंकि इसके लिए परियोजना को उत्पादन के खास स्तर तक पहुंचना होगा।'
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