7.2 फीसदी ही रहेगी आर्थिक वृद्धि की दर | ईशान बख्शी / नई दिल्ली January 07, 2019 | | | | |
भारत में निवेश तथा विनिर्माण गतिविधियों में तो अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से कम रफ्तार से बढऩे की संभावना है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आज जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की बढ़त की जो रफ्तार सोची गई थी, उसमें सुस्ती आ सकती है। आज जारी आंकड़ों के मुतािबक 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकता है, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने इसमें 7.4 फीसदी और वित्त मंत्रालय ने 7.5 फीसदी बढ़त का अनुमान लगाया था। लेकिन जीडीपी पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले तेज छलांग लगाएगा। 2017-18 में जीडीपी वृद्घि दर 6.7 फीसदी ही रही थी।
सांख्यिकी कार्यालय के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी वृद्घि दर तेजी से लुढ़ककर 6.8 फीसदी रह सकती है। पहली छमाही में दर 7.6 फीसदी रही थी। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.2-7.3 फीसदी औसत वृद्घि दर का अनुमान लगाया था। बहरहाल उम्मीद से कमतर आंकड़े रहने पर भी वित्त मंत्रालय खुश दिख रहा है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग ने ट्वीट किया, '2918-19 के लिए जीडीपी वृद्घि के बेहद अच्छे अग्रिम आंकड़े। भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेज बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है।' हालांकि चालू वित्त वर्ष में सांकेतिक जीडीपी 12.3 फीसदी की दर से बढ़ेगा, जो आम बजट में लगाए गए 11.5 फीसदी के अनुमान से अच्छा खासा ऊपर है।
असमायोजित जीडीपी के आंकड़ों से लगता है कि मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी पर रह सकती है। यह हैरत भरा अनुमान है क्योंकि नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 2.3 फीसदी ही रह गई और वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में औसत खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसदी के आसपास रही। इस वित्त वर्ष में सकल मूल्य वृद्घि 7 फीसदी की रफ्तार से बढऩे का अनुमाना लगाया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष के 6.5 फीसदी से अधिक रहेगा। अग्रिम अनुमान बजट निर्माण की कवायद के लिहाज से जारी किए जाते हैं और राजकोषीय घाटे, सकल स्थिर पूंजी निर्माण जैसे विभिन्न अनुपातों के आकलन में ये बहुत कम आते हैं। ये छह से आठ महनों के वास्तविक आंकड़ों पर आधारित होते हैं। बजट 1 फरवरी को लोकसभा में पेश किया जा सकता है।
आंकड़ों में रफ्तार कुछ सुस्त लग रही है, लेकिन अर्थशास्त्री कुछ और ही कह रहे हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर रानेन बनर्जी ने कहा, 'अनुमान जताने में कुछ ज्यादा ही सतर्कता बरती गई है और अंतिम आंकड़े तीन कारकों पर निर्भर करेंगे - तेल की कीमतों और उनके कारण मुद्रास्फीति का रुख कैसा रहता है, चुनाव से पहले की तिमाही में सरकार कितना खर्च करती है और अमेरिका तथा चीन के बीच व्यापार वार्ता के बाद अर्थव्यवस्था का रुख कैसा रहता है।' आंकड़ों पर लौटें तो उत्पादन के मामले में वृद्घि तेज होने की उम्मीद है क्योंकि विनिर्माण तथा निर्माण में अच्छी बढ़ोतरी दिखी है। इस वित्त वर्ष में विनिर्माण 8.3 फीसदी की तेज रफ्तार से बढ़ सकता है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसकी वृद्घि दर केवल 5.7 फीसदी थी। निर्माण भी पिछले वर्ष 5.7 फीसदी ही बढ़ा था, जिसमें इस बार 8.9 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन विनिर्माण गतिविधियों की वृद्घि दर पहली छमाही के मुकाबले तेजी से घटती लग रही है।
पहली छमाही में विनिर्माण गतिविधियां 10.3 फीसदी की दर से बढ़ी थीं, लेकिन चालू छमाही में आंकड़ा केवल 6.4 फीसदी रह जाने की आशंका है। निर्माण क्षेत्र पहली छमाही के 8.2 फीसदी के मुकाबले इस बार 9.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकता है। चालू वित्त वर्ष में कृषि की वृद्घि दर 3.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 3.4 फीसदी ही थी।
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