फिर भारत को मनाने चली ऐपल | |
शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली 01 07, 2019 | | | | |
► पिछले साल की शुरुआत में हुई थी गंभीर बातचीत
► आयात शुल्क में कमी की मांग कर रही है कंपनी
► चीन में बिक्री में कमी का सामना कर रही है ऐपल
► चीन के ओईएम वियतनाम, भारत जाने की तैयारी में
► ऐपल पिछले सप्ताह बनी दुनिया की चौथी सबसे महंगी कंपनी
► दो महीने पहले शीर्ष स्थान से फिसली थी ऐपल
आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ऐपल एक साल की चुप्पी के बाद फिर भारत के साथ पींगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। चीन में मिले झटके के बाद ऐपल ने एक बार फिर भारत का रुख किया है। ऐपल भारत को विनिर्माण और रिटेल का अपना प्रमुख केंद्र बनाना चाहती है। सरकार और उद्योग जगत के कई सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों ने एक बार फिर बातचीत की मेज पर लौटने का फैसला किया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु का इस महीने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान ऐपल के वरिष्ठï अधिकारियों से मिलने का कार्यक्रम है। सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि ऐपल ने इस बैठक का अनुरोध किया था।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर तनाव बढऩे से ऐपल के रणनीतिकार और सलाहकार भारतीय बाजार में कंपनी की आगे की रणनीति पर काम कर रहे हैं। शेयरों में गिरावट और चीन को लेकर रणनीति के नाकाम होने से पिछले तीन महीने में कंपनी के बाजार पूंजीकरण में करीब 474 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। पिछले सप्ताह ऐपल के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक ने चीन में खराब बिक्री के कारण 29 दिसंबर को खत्म तिमाही के दौरान राजस्व अनुमानों में नौ अरब डॉलर की कटौती करके निवेशकों को चौंकाया था। ऐपल और भारत सरकार के बीच बातचीत पिछले साल की शुरुआत में टूट गई थी। ऐपल ने भारत में विनिर्माण का प्रस्ताव रखते हुए कुछ रियायतें मांगी थीं। इनमें दस साल तक कर में छूट और आयात शुल्क में रियायत शामिल थी। इसके बाद दोनों पक्षों में बात नहीं बनी।
एक सूत्र ने बताया कि ताजा बातचीत में बीच का रास्ता निकालने पर सहमति हो सकती है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के अधिकारियों का कहना है कि सरकार कंपनी को विशेष छूट देने की स्थिति में नहीं है लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि अगर आईफोन भारत में एसेंबल होने के बजाय सही मायनों में बनाए जाते हैं तो बीच का रास्ता निकाला जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि भारत को निर्यात का नया प्रमुख केंद्र बनाने की पेशकश से कंपनी के लिए बेहतर मौके होंगे।
सूत्रों ने कहा कि भारत ऐपल के लिए तेजी से बढ़ रहा बाजार है और इसके लिए कंपनी अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है। अभी कंपनी की भारतीय बाजार में महज एक फीसदी हिस्सेदारी है जहां महंगे मोबाइल फोन पर आयात शुल्क को हाल में बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। ऐपल ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन कंपनी के एक सूत्र ने कहा कि कंपनी उन सैकड़ों मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के लिए रियायत मांग रही है जिनसे वे अपने उत्पाद लेती है।
कहां उलझा है मामला
एकल ब्रांड खुदरा में शत-प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दे दी गई है, लेकिन इसमें घरेलू कंपनियों से सामान खरीदने की अनिवार्य शर्त का पेच है। जैसे ही एफडीआई की सीमा 49 फीसदी से पार पहुंचती है, कंपनियों को सामान की कीमत का कम से कम 30 फीसदी स्थानीय स्तर पर खरीदना होता है। इसके बाद ही वे भारत में अपने स्टोर खोल सकते हैं। ऐपल का कहना है कि उसके लिए इन नियमों को मानना संभव नहीं है क्योंकि भारत में कोई भी हाई प्रीसिजन ओईएम नहीं है।
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