मैगी मामले में नेस्ले पर मुकदमा | |
आशिष आर्यन और अर्णव दत्ता / नई दिल्ली 01 03, 2019 | | | | |
लगभग साढ़े तीन साल बाद 'मैगी का भूत' नेस्ले के माथे पर एक बार फिर शिकन ला सकता है। मंगलवार को शीर्ष न्यायालय ने स्विटरलैंड की इस कंपनी के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा दायर क्लास एक्शन सूट दोबारा शुरू करने का आदेश दिया। सरकार ने कथित तौर पर स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारण तत्व वाले मैगी नूडल्स बेचने के लिए कंपनी के खिलाफ यह मुकदमा दायर किया था। इस आदेश के बाद मैगी नूडल्स एक बार फिर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के शिकं जे में फंस सकता है।
हालांकि न्यायालय ने कंपनी के उत्पाद के नमूने की नए सिरे से जांच नहीं किए जाने की अर्जी भी मान ली। न्यायालय ने कहा कि आगे अगर कोई जांच होती है तो वह केंद्रीय खाद्य तकनीकी शोध संस्थान (सीएफटीआरआई), मैसूर की पुरानी रिपोर्ट के आधार पर ही होगी। सीएफटीआरआई ने मैगी नूडल्स के नमूने की जांच में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा स्वीकृत सीमा से अधिक मात्रा मेंसीसा पाया था। न्यायालय ने कहा कि मैगी के नमूने में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) पाए जाने के बाद भी यह स्थापित नहीं किया जा सका कि यह तत्व प्राकृतिक स्रोत से लिया गया था या कृत्रिम तरीके से मिलाया गया था। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के अनुसार ऐसे खाद्य उत्पादों पर प्रतिबंध नहीं है, जिनमें प्राकृतिक स्रोतों से एमएसजी मिलाया गया है।
शीर्ष न्यायालय ने 5 जून, 2015 को मैगी नूडल्स के सभी संस्करणों पर पाबंदी लगा दी थी। इससे पहले खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने जांच में मैगी में अधिक मात्रा में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) और सीसा पाए जाने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार और कंपनी के बीच मामला बढ़ता गया, जिसके बाद अगस्त, 2015 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एनसीडीआरसी में नेस्ले इंडिया के खिलाफ क्लास एक्शन सूट दायर किया था। इसमें मंत्रालय ने 640 करोड़ रुपये का दावा किया था। यह पहला ऐसा मामला था, जब केंद्र सरकार ने स्वत: संज्ञान लेते हुए किसी कंपनी के खिलफ क्लास एक्शन सूट दायर किया था। एक अलग कानूनी विवाद में एफएसएसएआई और नेस्ले मैगी की गुणवत्ता पर लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं। इस मामले पर नजदीक से नजर रखने वाले वकील नीतीश बांका ने कहा, 'यह मुकदमा उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1968 की धारा 12 (1) (डी) के तहत दायर किया गया है। यह पहला मौका है जब सरकार ने किसी कंपनी के खिलाफ इस धारा का इस्तेमाल किया है।
मैगी विवाद
जून, 2015: एफएसएसएआई ने भारत में मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध लगाया
जुलाई, 2015: एफएसएसएआई के आदेश के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय पहुंची नेस्ले
अगस्त, 2015: केंद्र सरकार ने 640 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई के लिए एनसीडीआरसी में क्लास एक्शन सूट दायर किया
अक्टूबर, 2015: बंबई उच्च न्यायालय ने मैगी नूडल्स को हरी झंडी दी
नवंबर, 2015: भारत में मैगी नूडल्स को दोबारा उतारा गया
दिसंबर, 2015: एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंची नेस्ले, उच्चतम न्यायालय ने कार्यवाही पर लगाई रोक
अप्रैल, 2016: मैगी ने नूडल्स बाजार में फिर हासिल की बादशाहत
अक्टूबर, 2016: मैगी नूडल्स का नया संस्करण उतारा गया
दिसंबर, 2017: मैगी की सालाना बिक्री 2,600 करोड़ रुपये से अधिक
जनवरी, 2019: उच्चतम न्यायालय ने एनसीडीआरसी को क्लास एक्शन सूट पर सुनवाई की अनुमति दी
|