मिड-कैप से अच्छे प्रतिफल की उम्मीद | जश कृपलानी / December 30, 2018 | | | | |
भारत जैसे वृद्धि वाले बाजार में आम तौर पर निवेशक बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद में मिड-कैप और स्मॉल कैप में दांव लगाते हैं। हालांकि 2018 में मिड-कैप का सात साल में सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। ऐसे में फंड प्रबंधकों की बेंचमार्कों को मात देने की क्षमता को लेकर गंभीर सवाल पैदा हो रहे हैं। इन बेंचमार्कों को बाजार की भाषा में अल्फा कहा जाता है। वर्ष 2019 में भी बाजार में उतार-चढ़ाव रहने के आसार हैं। इसलिए फंड प्रबंधकों का कहना है कि गिरावट से मौके पैदा होंगे क्योंकि कुछ अच्छी कंपनियों के शेयर अपने वाजिब स्तर से अधिक मूल्य पर पहुंच गए हैं। वर्ष 2018 में निफ्टी मिडकैप 100 अपनी गिरावट की कुछ भरपाई करने के बाद भी 16 फीसदी लुढ़का है। इस अवधि में निफ्टी 50 गिरावट से बचने में कामयाब रहा है। यह वर्ष 2018 में करीब 3 फीसदी चढ़ा है।
डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के प्रमुख (इक्विटीज) विनीत सांबरे ने कहा, 'मूल्यांकन में गिरावट एक सकारात्मक संकेत है, अन्यथा मिड और स्मॉल क्षेत्र काफी महंगा नजर आ रहा था।' डीएसपी म्युचुअल फंड ने सितंबर में अपना स्मॉल-कैप फंड ताजा निवेश के लिए फिर से खोला था। फंड हाउस ने कहा था कि फंड को मूल्यांकन में गिरावट और आमदनी में सुधार के संकेतों की वजह से फिर से खोला गया है। डीएसपी म्युचुअलफंड और कुछ अन्य फंड हाउसों ने निवेश की एक अधिकतम सीमा तय की थी क्योंकि मूल्यांकन में बढ़ोतरी के कारण नए पैसे को लगाना एक चुनौती बन गया था।
इस साल की शुरुआत में निफ्टी मिडकैप 100 का एक साल का फॉरवर्ड पीई गुणक 28.7 गुना था, जो निफ्टी 50 से 52 फीसदी अधिक था। आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के सह-प्रमुख निवेश अधिकारी महेश पाटिल ने कहा, 'इस समय कुछ मिड-कैप अपने क्षेत्र के लार्ज-कैप के मुकाबले 10 से 15 फीसदी नीचे चल रहे हैं, जो सभी क्षेत्रों में अलग-अलग है।' फंड प्रबंधकों का मानना है कि इस समय पिटे हुए क्षेत्रों में मौके तलाशने का सबसे उपयुक्त वक्त है। आईएलऐंडएफएस के अपने कर्ज में डिफॉल्ट करने के बाद गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को नकदी के संकट का सामना करना पड़ता है। इनके मूल्यांकन नीचे आए हैं। इस वजह से विनीत सांबरे ने इनमें रुचि दिखाई है।
वह कहते हैं, 'हालांकि एनबीएफसी एक मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। हालांकि जिनकी मजबूत बलैंस शीट है, वे अच्छे मौके मुहैया करा सकती हैं। सरकार के रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रोत्साहन देने से कुछ हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां भी वापसी कर सकती हैं।' सांबरे ने कहा कि कर्ज लागत में सुधार और संपत्ति गुणवत्ता में सुधार के बाद कंपनियों को ऋण देने पर केंद्रित निजी बैंकों की आमदनी में बढ़ोतरी की संभावना है। फंड प्रबंधकों की भवन निर्माण सामग्री और कुछ चुनिंदा दवा कंपनियों पर कड़ी नजर है। उन्हें उम्मीद है कि दवा कंपनियों पर अमेरिका में कीमतों पर दबाव जल्द खत्म होगा। इस समय ज्यादातर फंड प्रबंधक महंगे शेयरों से दूरी बना रहे हैं। वे ऐसे शेयर तलाश रहे हैं, जिनमें गिरावट सीमित रहने की संभावना है। उनका कहना है कि जरूरी और गैर-जरूरी उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के शेयर तब आकर्षक बनेंगे, जब उनका मूल्यांकन वाजिब स्तर पर आएंगे।
रिलायंस म्युचुअल फंड में डिप्टी मुख्य निवेश अधिकारी शैलेष राज भान ने कहा, 'पिछले 4-5 वर्षों के दौरान खुदरा, वाहन और खुदरा बैंक जैसे क्षेत्रों के मिड-कैप शेयर मुख्य रूप से रैली की वजह से चढ़े हैं। इस दौरान यूटिलिटीज, सीमेंट और होटल कंपनियों के शेयरों में कमजोरी रही है। हम पूंजीगत माल, रियल एस्टेट और सीमेंट जैसे शेयरों पर बड़ा दांव लगा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कुछ शेयर वाजिब स्तरों पर हैं। इन कंपनियों का परिचालन लाभ मजबूत बना हुआ है और उनमें गिरावट सीमित रह सकती है। घरेलू वृहद आर्थिक कारक भी मददगार बने हुए हैं। भान ने कहा, 'एक साल पहले वृहद आर्थिक हालात कमजोर नजर आ रहे थे क्योंकि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही थी। तेल की कीमतें नीचे आने से स्थितियां बेहतर हुई हैं। यह चालू खाते के घाटे और ब्याज दरों के लिए अच्छा है।'
ब्रेंट क्रूड तेल की कीमतें 86 डॉलर प्रति बैरल के अपने हाल के सर्वोच्च स्तर से करीब 39 फीसदी नीचे आ चुकी हैं। सुंदरम म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी एस कृष्ण कुमार ने कहा, 'जिंसों की कीमतों में नरमी मिड-कैप कंपनियों के शेयरों के लिए अच्छी खबर है, जो अपने उत्पादन के लिए ऊर्जा, धातु और पॉलिमर पर निर्भर हैं।' हालांकि आम चुनाव पूरे होने तक बाजारों में उतार-चढ़ाव बना रहने की संभावना है। इस दौरान मिड-कैप को मार झेलनी पड़ सकती है। सांबरे ने कहा, 'ऐसे बहुत से घरेलू और वैश्विक घटनाक्रम हैं, जो उतार-चढ़ाव को और बढ़ा सकते हैं। वैश्विक मंदी और अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध को लेकर चर्चा चल रही है। बाजारों को चुनावों से पहले चुनावी शोरगुल का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे माहौल में कुछ महंगे शेयर अपनी बढ़त गंवा सकते हैं।'
पिछले 10 वर्षों के आंकड़े यह बताते हैं कि लार्ज-कैप शेयरों के गिरने के बाद मिड-कैप वापसी करते हैं। वर्ष 2011 में निफ्टी मिडकैप 31 फीसदी नीचे था। पिछले 6 वर्षों में यह सालाना 23 फीसदी की दर से चढ़ा है। हालांकि ऐसी पर्याप्त उम्मीद और शेयरों के लिए भरपूर विकल्प हैं, जिनकी वजह से फंड प्रबंधकों में उत्साह बना हुआ है। लेकिन वर्ष 2019 के दौरान मिड-कैप शेयरों में निवेश घटता-बढ़ता रहेगा।
|