7 पीएसयू को सूचीबद्घ कराने की मंजूरी | अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली December 28, 2018 | | | | |
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सात सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्घ कराने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी। इनमें टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स (टीसीआईएल), रेलटेल कॉरपोरेशन, नैशनल सीड कॉरपोरेशन (एनएससी), टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसीआईएल), वॉटर ऐंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेज (वैपकॉस) और एफसीआई अरावली जिप्सम ऐंड मिनरल्स (एफएजीएमआईएल) और कुदे्रमुख आयरन ओर कंपनी (केआईओसी) शामिल हैं। इनमें से टीसीआईएल, आरसीआईएल, एनएससी, टीएचडीसीएल, वैपकॉस और एफएजीएम का आरंभिक सार्वजनिकक निर्गम (आईपीओ) आएगा जबकि केआईओसी का एफपीओ आएगा। केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'इन पीएसयू को एक्सचेंज पर सूचीबद्घ कराने से उनके मूल्य का पता चलेगा और निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।'
अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सूचीबद्घता की यह पहल 2019-20 के विनिवेश योजना का हिस्सा हो सकती है और इनमें से किसी के भी चालू वित्त वर्ष में आने की संभावना नहीं है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये 800 अरब रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। आईपीओ और एफपीओ की प्रक्रिया थोड़ी व्यवस्थित होती है। इसके लिए निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) वित्तीय और कानूनी सलाहकारों को नियुक्त करने के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित करेगा। उसके बाद घरेलू एवं विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए रोडशो आयोजित किए हैं तथा बाजार की स्थिति को देखते हुए निर्गम लाने का निर्णय किया जाता है।
हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत वित्त मंत्री अरुण जेटली, सड़क परिवहन एवं जाहजरानी मंत्री नितिन गडकरी और संबंधित मंंत्रालय विनिवेश, निर्गम का मूल्य तय करने और सूचीबद्घता के समय पर निर्णय कर सकते हैं। सरकार ने पहले से ही कई आईपीओ को मंजूरी दी हुई है जिसे अभी लाना बाकी है। इनमें रेलवे से जुड़ी आईआरएफसी, आरवीएनएल, मझगांव डॉकयाड्र्स, एमएसटीसी तथा रक्षा एवं रेल की अन्य कंपनियां शामिल हैं। इनके निर्गम 31 मार्च से पहले आने की संभावना है। जैसा कि पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि 2018-19 के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करना संभव नहीं होगा, लेकिन दीपम को पूरा भरोसा है कि इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है और विनिवेश से 850 अरब रुपये तक जुटाए जा सकते हैं।
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