►भारत और दक्षिण कोरिया के बीच एफटीए के मुताबिक वहां की कंपनियों को दूरसंचार उपकरणों पर आयात शुल्क नहीं देना पड़ता है
►घरेलू कंपनियों की शिकायत है कि बड़ी संख्या में वियतनाम से आ रहे 4जी एलटीई उपकरणों को एफटीए का फायदा मिल रहा है
दूरसंचार उपकरण बनाने वाले चीन की कंपनी हुआवेई ने भारत में दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग के खिलाफ समान अवसर नहीं मिलने का आरोप लगाया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत और दक्षिण कोरिया के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) है जिसके कारण सैमसंग को भारत में कोई सीमा शुल्क नहीं देना पड़ता है। हुआवेई इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी जे चेन ने कहा, 'भारत और दक्षिण कोरिया के बीच एफटीए के कारण सैमसंग जैसी कंपनियां दक्षिण कोरिया से दूरसंचार उपकरणों का आयात करती हैं और उन्हें कोई सीमा शुल्क नहीं देना पड़ता है। हमारे मामले में ऐसा नहीं है और हमें सीमा शुल्क देना पड़ता है। इससे दक्षिण कोरिया की कंपनियों की तुलना में हमारी लागत बढ़ जाती है जिससे बाजार में हमें बराबर का मौका नहीं मिलता है।'
सैमसंग ने हुआवेई के आरोपों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया लेकिन सूत्रों का कहना है कि एफटीए दो सरकारों के बीच समझौता है और इसमें कोरियाई कंपनी की कोई भूमिका नहीं है। चीन की इस दिग्गज कंपनी ने ऐसे समय सैमसंग पर आरोप लगाए हैं जब अपने उपकरणों को लेकर उसे पूरी दुनिया में आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। कई अहम देशों ने कंपनी के उपकरणों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं और आशंका जताई है कि उनका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा सकता है।
अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और न्यूजीलैंड ने पहले ही हुआवेई के 5जी उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत में भी सरकार समर्थित टेलीकॉम इक्विपमेंट ऐंड सर्विसेज एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (टीईपीसी) ने घरेलू कंपनियों की तरफ से इस तरह के प्रतिबंध लगाने की मांग की है। अलबत्ता टेलीकॉम ऑपरेटरों के संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने चीन की कंपनियों का समर्थन किया है।
भारत के साथ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के तहत दक्षिण कोरिया की विनिर्माता कंपनियों को दूरसंचार उपकरणों पर आयात शुल्क देने की जरूरत नहीं है बशर्ते कि उनके देश में इन पर 35 फीसदी मूल्य वद्र्घन हुआ हो। दक्षिण कोरिया में बने नेटवर्क और मोबाइल रेडियो कम्युनिकेशन उपकरण, बेस स्टेशन, स्विचिंग सिस्टम, राउटर, मॉडम, डिजिटल लूप कैरियर आदि उपकरणों को भारत में सीमा शुल्क पर छूट मिली हुई है। भारत ने वियतनाम के साथ भी इसी तरह का समझौता किया है। सैमसंग वहां से भी कुछ दूरसंचार उपकरणों का आयात करती है।
सैमसंग ने मोबाइल और दूरसंचार उपकरण बनाने के लिए वियतनाम में अरबों डॉलर का निवेश किया है। सरकार ने घरेलू उद्योग को बचाने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए तीन महीने पहले कई दूरसंचार नेटवर्क उपकरणों पर आयात शुल्क दस फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने का फैसला किया था। साथ ही प्रिंटेड सर्किट बोर्ड पर दस फीसदी आयात शुल्क लगाया गया था। इससे दक्षिण कोरियाई कंपनियों को फायदा और बढ़ गया।
सैमसंग दूरसंचार उपकरणों के बाजार में अभी नई है लेकिन उसने भारतीय बाजार में उल्लेखनीय हिस्सेदारी हासिल कर ली है। कंपनी ने हुआवेई को पछाड़कर रिलायंस जियो के 4जी नेटवर्क को बनाने और इसका विस्तार करने के अधिकांश अनुबंध हासिल किए हैं। विश्लेषकों के मुताबिक देश के दूरसंचार उपकरण बाजार में हुआवेई की 30 फीसदी हिस्सेदारी है लेकिन माना जा रहा है कि देश में 5जी के परीक्षण के लिए सैमसंग का रिलायंस जियो के साथ करार होने वाला है। सैमसंग और हुआवेई के बीच 5जी उपकरणों को बेचने के लिए दुनियाभर में होड़ चल रही है। वियतनाम से 4जी एलटीई उपकरणों के भारी आयात ने भी घरेलू कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत वहां से 1.4 अरब डॉलर के दूरसंचार उपकरण आयात करता है। भारतीय कंपनियों ने टीईपीसी के जरिये सरकार के संबंधित विभागों को अपनी चिंता से अवगत कराया है। उनका कहना है कि जिस उद्देश्य के लिए सरकार ने दूरसंचार उपकरणों पर आयात शुल्क बढ़ाया था, एफटीए के कारण घरेलू कंपनियों को उसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है।
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