दागदार सराफ | पवन लाल / December 26, 2018 | | | | |
वह आया, उसने देखा और भाग गया। दूसरे शब्दों में किस तरह ज्वैलर नीरव मोदी ने खुद को प्रगतिशील और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के गहनों का विक्रेता बनाया। ऐसे गहने, जो पश्चिमी देशों के बाजारों में बेचने के लायक थे। यह एक ऐसा नजरिया था, जिसे उन्होंने लंदन, न्यूयॉर्क, हॉन्ग-कॉन्ग, मकाऊ, मुंबई और दिल्ली समेत दुनियाभर में शुरू किए गए स्टोरों में लागू किया। अगर पूर्व शराब कारोबारी विजय माल्या की पहचान तड़क-भड़क थी तो नीरव मोदी की सिगरेट से निकलता धुआं और सीसा जडि़त स्टोर हर किसी का ध्यान मुख्य मुद्दे से भटका देते थे। सुंदर मॉडलों, शानदार कारीगरी, आकर्षक कारों और क्रिस्टीज जैसे नीलामी घरों में नीलामी के लिए सुंदर डायमंड सेटों के अलावा उनके कर्ज लेने की सीमा को लेकर बीते कुछ वर्षों में संदेह होने लगा था।
आखिरकार यह ताश के पत्तों का घर ढह गया। यह सामने आया कि यह पैसा पंजाब नैशनल बैंक से पिछले एक दशक से लिया जा रहा था। यह पैसा कर्ज के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिये लिया जा रहा था। ये लेटर ऑफ अंडरटेकिंग बैंक के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर जारी किए गए। इससे पीएनबी में 130 अरब रुपये का घोटाला हुआ। इससे बैंक हिल गए और उपभोक्ताओं का भरोसा डगमगा गया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरण नीरव मोदी की तलाश में हैं, लेकिन उन्हें जानने वाले लोगों के बीच ये चर्चाएं चल रही हैं कि कुछ सप्ताह पहले ही उन्हेें लंदन रेस्टोरेंट में डिनर करते हुए देेखा गया था।
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