भारत के जबरदस्त हैंडसेट बाजार में 2015 और 2016 में नई ऊंचाई तक पहुंचने के बाद चार प्रमुख भारतीय ब्रांड- माइक्रोमैक्स, लावा, इंटेक्स और कार्बन- लगातार गिरावट दर्ज कर रहे हैं। घरेलू हैंडसेट बाजार की इन चार प्रमुख कंपनियों ने न केवल अपनी बाजर हिस्सेदारी खोई है बल्कि उन्हें कठिन वित्तीय स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। जबकि उनकी प्रतिस्पर्धी चीन की कंपनियों की बुलंदियों को देखते हुए उनके अच्छे दिनों की वापसी कठिन दिख रही है।
भारत के स्मार्टफोन बाजार में इन चार प्रमुख घरेलू हैंडसेट ब्रांड की हिस्सेदारी 2015 के अंत में 35 फीसदी से अधिक थी जो घटकर अब 10 फीसदी से भी कम रह गई है। हालांकि सितंबर इसका अपवाद है जब माइक्रोमैक्स की बाजार हिस्सेदारी 9 फीसदी रही थी। छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले कंपनी को 50 लाख स्मार्टफोन की अपूर्ति के लिए राज्य सरकार से ठेका मिला था जिससे उसकी बाजार हिस्सेदारी को बल मिला।
इस महीने के आरंभ में लावा इंटरनैशनल के चेयरमैन हरिओम राय ने कर्मचारियों को सूचित किया कि उनके वेतन भुगतान में देरी हो सकती है। पिछले तीन वर्षों के दौरान नोटबंदी, नकदी खर्च करने की क्षमता के साथ चीन की प्रतिस्पर्धी कंपनियों का आगमन और ई-कॉमर्स चैनलों पर भारी छूट जैसे तमाम उथल-पुथल का उल्लेख करते हुए राय ने इशारा किया कि कंपनी की वित्तीय सेहत सही नहीं है। हालांकि लावा की यह स्थिति कोई अनोखी नहीं है।
अन्य भारतीय हैंडसेट कंपनियों के सूत्रों ने कहा कि हाल की तिमाहियों में उन्हें वेतन भुगतान में देरी और बाजार हिस्सेदारी में गिरावट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इस साल के आरंभ में इन चारों कंपनियों ने अपनी बिक्री टीम में कटौती की। कुछ मल्टीब्रांड आउटलेट में ऑन-शॉप प्रमोटर और बिक्री अधिकारियों की संख्या में लगभग 50 फीसदी की कटौती की गई है। लेकिन जिन लोगों की छंटनी नहीं की गई उनके वेतन में 20 से 25 फीसदी की कटौती कर दी गई।
कार्बन और इंटेक्स के संयंत्रों में काम कर चुके एक कर्मचारी ने कहा, 'वेतन का भुगतान एक-दो महीने की देरी अथवा टुकड़ों में किया जाता है।' पिछले दो वर्षों के दौरान बिक्री में गिरावट के कारण अनुबंध आधारित कर्मचारियों की संख्या में 50 फीसदी की उल्लेखनीय कटौती की गई है। इन चारों कंपनियों के संयंत्रों को पूरी क्षमता पर परिचालन के लिए करीब 20,000 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। चारों प्रमुख भारतीय हैंडसेट विनिर्माताओं के राजस्व में 2015 के बाद लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
माइक्रोमैक्स ने 2016-17 में 56.14 अरब रुपये की बिक्री दर्ज की जो 2014-15 में हुई 104.51 अरब रुपये की बिक्री से कम है। बाजार में प्रतिस्पर्धा पर नजर रखने वाली कंपनी ओवलर के आकलन के अनुसार, लावा की बिक्री 2017-18 में घटकर 19.75 अरब रुपये रह गई जो 2015-16 में 76.50 अरब रुपये रही थी। इसी प्रकार 2016 के आरंभ में चौथे पायदान पर रहने वाली इंटेक्स की बिक्री 32 फीसदी घटकर 2017-18 में 28.62 अरब रुपये रह गई। कार्बन मोबाइल ने 2013-14 में 40 अरब रुपये से अधिक का राजस्व दर्ज किया था जो घटकर 2018 में 28 अरब रुपये रह गया।
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