► अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व जापान हुआवेई पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में ► कंपनी पर चीन सरकार के साथ उपभोक्ताओं की जासूसी करने की आशंका ► अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को हुआवेई के स्मार्टफोन और टेलीकॉम उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने को कहा
हुआवेई टेक्नोलॉजिज के दूरसंचार उपकरणों के सुरक्षा जोखिमों को लेकर कई देशों में खलबली मची है और भारत में भी इसकी तपिश महसूस की जा रही है। दूरसंचार उपकरणों के निर्यात से जुड़ी संस्था का कहना है कि चीन की इस दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। कई देश हुआवेई के 5जी दूरसंचार उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में हैं। टेलीकॉम इक्विपमेंट ऐंड सर्विसेज एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (टीईपीसी) हुआवेई और चीन की सभी प्रमुख कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों पर भारत में प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है। उसकी इस बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को एक पत्र लिखने की योजना है।
इसकी पुष्टि करते हुए टीईपीसी के महानिदेशक आर के भटनागर ने कहा, 'यह सही है। हम राष्टï्रीय सुरक्षा सलाहकार को एक पत्र लिख रहे हैं कि दुनियाभर में चीन के उपकरणों को लेकर पैदा हुई चिंता के मद्देनजर हमें उन पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए।' भटनागर ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों और सरकारी कंपनियों ने चीन की कंपनियों को ठेके दिए हैं। पूर्वोत्तर जैसे संवेदनशील इलाकों में भी ऐसा किया गया है। सिस्टम में लगे सॉफ्टवेयर के जरिये नेटवर्क को दूसरे देश से नियंत्रित करना तकनीकी रूप से संभव है। उन्होंने कहा कि भारत इंटरनेट ऑफ थिंग्स की तरफ बढ़ रहा है जिससे और ज्यादा सुरक्षा चिंताएं पैदा हो सकती हैं।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान सहित कई देश 5जी नेटवर्क पर चीन की कंपनी के उत्पादों पर पाबंदी लगा रहे हैं। आशंका यह है कि हुआवेई उपभोक्ताओं पर नजर रखने और उनकी जानकारी चुराने के लिए चीन की सरकार के साथ मिलकर काम कर सकती है। अमेरिका ने भी दुनिया भर में अपने सहयोगी देशों को हुआवेई के स्मार्टफोन और दूरसंचार उपकरणों पर पाबंदी लगाने को कहा है। सैमसंग के बाद हुआवेई स्मार्टफोन बनाने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। अप्रैल में पेंटागन ने संभावित सुरक्षा जोखिमों के चलते दुनियाभर में सैन्य अड्डों पर स्थित स्टोर में हुआवेई और चीन की एक अन्य कंपनी जेडटीई द्वारा बनाए गए मोबाइल और मॉडेम की बिक्री बंद कर दी थी।
भारत में कुछ हलकों में पिछले कुछ समय से सुरक्षा चिंताएं जाहिर की जा रही हैं। भारत में खासकर 4जी बाजार में हुआवेई की अच्छी पहुंच है। कुछ अनुमानों के मुताबिक इस बाजार में कंपनी की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार ने पहले भी चीन की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। एक जमाने में सरकार ने बीएसएनएल जैसी सरकारी कंपनियों को सीमावर्ती इलाकों में चीनी कंपनियों के उपकरणों पर रोक लगाई थी। रक्षा मंत्रालय ने भी सशस्त्र सेनाओं के लिए बनाए जा रहे ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क में चीन की कंपनियों के उपकरणों के इस्तेमाल का विरोध किया है। इसके बावजूद दूरसंचार विभाग ने हुआवेई को 5जी नेटवर्क के परीक्षण के लिए हरी झंडी दे दी है। इसके 2019 की पहली तिमाही से शुरू होने की उम्मीद है। इससे पहले टीईपीसी ने जुलाई और अक्टूबर में भी चीनी कंपनियों की संभावित चुनौतियों के बारे में डोभाल को अपनी चिंताओं के बारे में अवगत किया था।
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