निर्यातकों पर रिजर्व बैंक सख्त | शुभायन चक्रर्ती और शुभमय भट्टाचार्य / नई दिल्ली December 17, 2018 | | | | |
निर्यात कमाई वापस नहीं लाने वाले निर्यातकों की जानकारी ईडी को देने की चेतावनी
रुपये की हेजिंग के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निर्यातकों को चेतावनी दी है कि अगर वे अपनी निर्यात की कमाई को बैंकों में नहीं दिखाते हैं तो उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय को जानकारी दी जा सकती है। करीब 90 हजार निर्यातकों के इस नए नियमों के दायरे में आने का जोखिम है।
केंद्रीय बैंक को इसके आंकड़े 2014 में पेश किए गए सॉफ्टवेयर के जरिये प्राप्त हुए हैं। इस सॉफ्टवेयर को निर्यात डेटा प्रसंस्करण एवं निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस) के तौर पर जाना जाता है, और इसका उपयोग बैंकों द्वारा निर्यातकों के साथ कारोबार में किया जाता है। इस प्रणाली से निर्यातकों को भी काफी मदद मिली है और उन्हें बैंकों के साथ काम करने में कागजी दस्तावेजों के झंझट में नहीं पडऩा होता है। इसने कारोबार सुगमता बढ़ाने में भी योगदान दिया है।
लेकिन निर्यातकों के लिए ईडीपीएमएस का दूसरा पहलू भी है। इसमें प्रत्येक बुक की गई खेप के आंकड़े पर नजर रखी जाती है और शिपमेंट क्लियर नहीं होने की भी जानकारी मिलती है। आरबीआई अक्सर बैंकों को ईडीपीएमएस को अद्यतन करने पर जोर देता रहा है क्योंकि निर्यातकों को अपने ऑर्डर की आपूर्ति से प्राप्त कमाई को वापस लाने पर नजर रखने में मदद मिलती है। हालांकि निर्यातक अक्सर विदेश में अपनी कमाई को लाने में देर करते हैं ताकि विदेशी विनिमय बाजार में उन्हें कुछ लाभ मिल सके। भारतीय रुपये में हालिया उतार-चढ़ाव के बीच कई निर्यातकों को इसकी हेजिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया। जून से सितंबर 2018 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में 6.2 फीसदी की गिरावट आई थी। ईडीपीएमएस के आंकड़े का वास्तविक निर्यात से मिलान करने पर इसका खुलासा होगा कि इस खेल में कितनी रकम लगी है।
बैंकों ने आरबीआई से कहा कि डेटाबेस अपूर्ण है क्योंकि निर्यातक अपने ऑर्डर की स्थिति के बारे में जानकारी देने में देर कर रहे हैं। आरबीआई ने अपनी ओर से डेटाबेस को अद्यतन करने के लिए समय-समय पर समयसीमा तय करता है और पिछली समयसीमा 30 सितंबर, 2018 को खत्म हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि ईडीएमपीएस 31 दिसंबर तक अद्यतन हो जाना चाहिए। केंद्रीय बैंक ने निर्यातकों को चेतावनी दी है कि अपने ऑर्डर की स्थिति की जानकारी देने में विफल रहने वाले निर्यातकों को सतर्कता सूची में डाला जा सकता है।
इस सूची में डाले जाने से निर्यातकों को कर्ज नहीं मिल पाएगा जिससे उनका कारोबार प्रभावित होगा। फिलहाल करीब 90 हजार निर्यातक इस सूची में हैं और इनमें से करीब 65,000 सक्रिय निर्यातक हैं। लेकिन लगातार देरी होने से भारतीय रिजर्व बैंक ने सख्ती दिखाने का मन बनाया है। हालिया कदम के तहत आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे निर्यातकों को सूचित करें कि 'ग्राहकों के बिल 270 दिनों से अधिक समय तक लंबित रहने की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय को दी जाएगी और हम इस तरह के ग्राहकों के साथ कारोबार नहीं कर सकते।'
प्रवर्तन निदेशालय के पास मामला पहुंचने से निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ सकती है हैं क्योंकि ईडी भारतीय इकाइयों के मामले में विदेशी विनिमय नियमों के उल्लंघन की जांच करता है। हालांकि कॉटन टेक्सटाइल्स निर्यात संवर्धन परिषद सहित कई निर्यातकों ने कहा है कि इसमें निर्यातकों की कोई गलती नहीं है। बैंक ही निर्यातकों के डेटाबेस को अद्यतन करने में धीमा हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि सरकार को इस मामले में इसका ध्यान रखना चाहिए कि कई फर्मों को अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करने में महीनों इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बाजार में जब तरलता कम हो तो नियमों को सख्त बनाने के बजाय उसमें ढील देनी चाहिए।
सहाय ने कहा, 'करीब 1 से 2 फीसदी मामलों में निर्यातकों का वास्तविक बकाया हो और वे अपना भुगतान प्राप्त करने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं कई मामलों में बैंकों ने सिस्टम अद्यतन नहीं किया है। हालांकि कुछ निर्यातक ऐसे भी हो सकते हैं जिन्होंने इसमें चूक की हो।' भारतीय उद्योग परिसंघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कड़ी हो रही है, वैसे में निर्यात लंबे भुगतान विकल्प को मार्केटिंग के उपाय के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।' अधिकारी ने यह भी कहा कि बैंक ईडी के पास मामला जाने के बाद बैंक वाजिब मामलों में भी कर्ज बढ़ाने से बच सकते हैं क्योंकि कर्ज फंसने की जिम्मेदारी बैंकों पर हो जाएगी।
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