5,000 रुपये के आयातित तोहफे पर सीमा शुल्क नहीं | तिनेश भसीन / December 16, 2018 | | | | |
जब नीति कोरागांवकर को ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली अपनी बहन से एक पार्सल मिला तो डाकिये ने उनसे सीमा शुल्क के तौर पर 4,000 रुपये देने का कहा। यह सुनकार नीति को आश्चर्य हुआ क्योंकि यह राशि उसकी बहन द्वारा भेजे गए सामान की कुल कीमत की करीब 70 फीसदी थी। इनमें नीति की दो साल की बेटी के लिए कपड़े और खिलौने शामिल थे। इतना ही नहीं यह व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए भेजा गया उपहार था और कोई व्यावसायिक लेनदेन नहीं था। देश में आयात होने वाली हर चीज पर सीमा शुल्क लगता है। अलबत्ता उपहार के तौर पर आयातित सामान पाने वालों को इसमें कुछ छूट दी गई है। कानूनों के मुताबिक 5,000 रुपये या उससे कम कीमत वाले उपहार पर सीमा शुल्क नहीं लगेगा। सीमा शुल्क विभाग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'विदेश से कोई भी व्यक्ति अपने संबंधियों, कारोबारी सहयोगियों, दोस्तों, कंपनियों और करीबी लोगों को उपहार भेज सकता है। ये उपहार सही मायनों में व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए होना चाहिए।'
शुल्क तय करते समय पोस्टल शुल्क या हवाई मालभाड़े पर विचार नहीं किया जाता है। सीमा शुल्क विभाग केवल उस देश में सामान की कीमत पर विचार करता है जहां से सामान भेजा गया है। अगर उपहारों की कीमत तय सीमा से अधिक होती है तो इसे पाने वाले को पूरे सामान के लिए सीमा शुल्क चुकाना पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर उपहार की कीमत 5,500 रुपये है तो केवल तय सीमा से अधिक कीमत पर सीमा शुल्क नहीं लगेगा बल्कि पूरी कीमत पर लगेगा। शुल्क की गणना उस समय की दर और मूल्य पर की जाती है जब डाक विभाग सामान को सीमा शुल्क के लिए प्रस्तुत करता है। सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी ने कहा, 'सामान भेजने वाले और पाने वाले को ध्यान में रखना चाहिए कि जो सामान छूट के दायरे से बाहर हैं उन पर 42 फीसदी सीमा शुल्क लगता है।'
अगर आपका कोई करीबी रिश्तेदार इस त्योहारी सत्र में आपको कोई उपहार भेज रहा है तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह इसे उपहार के तौर पर भेजे। अगर वह इसे उपहार के रूप में नहीं भेजता है तो सीमा शुल्क के साथ-साथ जुर्माना भी देना पड़ेगा। उच्च सीमा शुल्क से बचने का एक तरीका यह है कि उपहारों को छोटे-छोटे पैकेट बांटना चाहिए ताकि उनकी कीमत 5,000 रुपये से कम रहे। यह यदाकदा उपहारों के लिए व्यावहारिक विकल्प है। विभाग इस बात पर नजर रखता है कि उपहार कितनी बार और कितनी मात्रा में आ रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई पैसा भेजने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल न करे।
सामान की तेज आपूर्ति के लिए शिपिंग और सामान का आकार भी मायने रखता है। आयातित सामान को जांच के लिए एक्सरे मशीनों से गुजारा जाता है और फिर संदेह वाले सामान की पहचान की जाती है। अगर सामान महंगा है तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि उसे आगे की जांच के लिए भेजा जाएगा। बेहतर होगा आपके रिश्तेदार उपहार की पैकेजिंग हटा दें, छोटा पार्सल बनाएं और इसे सस्ते विकल्पों के जरिये भेजे। लेकिन सामान के मूल्य के साथ छेड़छाड़ से परहेज करना चाहिए क्योंकि इसे आपूर्ति में और देरी हो सकती है। अगर सीमा शुल्क विभाग को लगता है कि सामान की कीमत कम की गई है तो अधिकारी सामान की असली कीमत का पता लगाने के लिए बिल, संबंधित दस्तावेज और अन्य जानकारी मांग सकते हैं।
अगर उपहार पर सीमा शुल्क लगना है तो आप इसे अंतरराष्टï्रीय कूरियर कंपनी के जरिये भेज सकते हैं। इनमें से कई कंपनियां भेजने वाले को सीमा शुल्क का भुगतान करने का विकल्प देती हैं ताकि उपहार पाने वाले को कोई दिक्कत न हो। सामान पाने वाले को इसके लिए कूरियर कंपनी को अपना केवाईसी दस्तावेज भेजने पड़ते हैं। अधिकांश आम सामान को उपहार के तौर पर भेजा जा सकता है लेकिन सीमा शुल्क के पास ऐसे सामानों की एक सूची है जिन्हें उपहार के तौर पर नहीं भेजा जा सकता है। उदाहरण के लिए इस्तेमाल किया हुआ इलेक्ट्रॉनिक सामान भेजने पर पाबंदी है। उपहार के रूप में इस तरह का सामान देने से परहेज करना चाहिए। इस्तेमाल किए हुए और रिफर्बिश्ड सामान को आयात करने के लिए सामान पाने वाले को विदेश व्यापार महानिदेशालय से लाइसेंस लेना पड़ता है। कुछ मामलों में तो इसके लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से भी लाइसेंस लेने की जरूरत होती है।
|