हमारे जैसे एनबीएफसी देनदारियों पर दें ध्यान | अद्वैत राव पालेपू / December 13, 2018 | | | | |
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास-वित्त कंपनियों (एचएफसी) को प्रभावित करने वाली मौजूदा समस्याओं के संदर्भ में आदित्य बिड़ला फाइनैंस के मुख्य कार्याधिकारी राकेश सिंह ने अद्वैत राव पालेपू के साथ विस्तार से बातचीत की। पेश हैं उनसे हुर्ई बातचीत के मुख्य अंश:
ऊंचे ब्याज दर चक्र में उधारी की बढ़ती लागत को देखते हुए एनबीएफसी की क्या स्थिति है?
एनबीएफसी और एचएफसी के संदर्भ में पिछले कुछ महीने काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे। आईएलऐंडएफएस नकदी संकट, खासकर कोष उगाही की दक्षता प्रभावित होने के बाद कई तरह के सवाल पैदा हुए। वैश्विक और भारतीय वृहद परिदृश्य, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और रुपये में गिरावट की वजह से कोष की लागत बढ़ गई जिससे तरलता प्रभावित हुई। हालात में अब सुधार आया है और ऐसा नहीं लगता कि ब्याज दरें बढ़ेंगी। एनबीएफसी/ एचएफसी में मंदी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। हमें मौजूदा संकट को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए बल्कि इससे सबक लेना चाहिए और अगली बार बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए अपनी प्रक्रियाओं को मजबूत बनाना चाहिए। पूरे उद्योग पर
फिर से विचार करने और देनदारियों पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें एएलएम को अधिक संतुलित बनाने पर विचार करने की जरूरत होगी।
पिछले महीने के दौरान वाणिजियक पत्र (सीपी) निर्गम के दौरान ऊंचे प्रतिफल के बावजूद मजबूत बना रहा, जबकि कुछ एनबीएफसी/ एचएफसी पूर्व-भुगतान कर रहे हैं। बैंक पहले की तरह एनबीएफसी को लगातार उधार दे रहे हैं और उनके ऋण पोर्टफोलियो खरीदने को इच्छुक हैं। इस संदर्भ में आप तरलता की स्थिति को कैसे देखते हैं?
पिछले कुछ वर्षों से हमने तरलता की स्थिति को उदार बनाया। नोटबंदी के बाद बैंकिंग सेक्टर और म्युचुअल फंडों में बड़ी पूंजी आई। ऋण मांग एचएफसी और एनबीएफसी से देखी गई, पर आईएलऐंडएफएस संकट के बाद तरलता पर दबाव पड़ा है। खासकर सीपी के संदर्भ में नकदी की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर है। हालांकि दीर्घावधि देनदारियां अभी भी चुनौती बनी हुई हैं। मैं 10 कंपनियों में से आठ के संदर्भ में समेकन देख रहा हूं। अच्छी, अच्छी तरह से प्रबंधित कंपनियों और औसत कंपनियों के बीच बाजार में अंतर स्पष्टï दिखेगा।
क्या कंपनियों के लिए आपकी उधारी प्रणालियों में कोई बदलाव आया है?
अपने संगठित वित्त व्यवसाय में, कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर विचार करने के अलावा हम अधिक समग्र दृष्टिïकोण अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम कंपनी और प्रवर्तक नकदी प्रवाह पर ध्यान दे रहे हैं, हम प्रतिभूतियों या रियल एस्टेट निवेश के जरिये उनकी लाभांश आय या निवेश पूंजी पर विचार कर रहे हैं। हमने सख्त ऋण निगरानी प्रणालियों और केंद्रीय जोखिम निगरानी टीम के साथ सक्रिय जोखिम प्रबंधन सॉल्युशनों में निवेश किया है। कंपनी में यदि किसी तरह की कोई खबर सामने आती है (सकारात्मक या नकारात्मक) तो उस पर तुरंत ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, मौजूदा परिवेश और वृहद संकेतकों को देखते हुए हम नियमित तौर पर अपने पोर्टफोलियो की जांच करते हैं।
इस तिमाही में ऋण वितरण धीमा रहा है, क्योंकि एनबीएफसी और एचएफसी अपने नकदी प्रवाह को मजबूत बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। पिछली तिमाही आपके लिए कैसी रही?
हर कोई हालात पर गंभीरता से विचार करना और पूंजी को सुरक्षित बनाना चाहता है। कई कंपनियों ने ऋण वितरण के संदर्भ में सुस्ती दिखाई, लेकिन बड़ी कंपनियां अपनी उधारी से जुड़ी रहीं। हम रिटेल (लोगों) और छोटे एवं मझोले उद्यम (एसएमई) ग्राहकों के लिए लगातार ऋण मुहैया करा रहे हैं। उपभोक्ता, रिटेल और एसएमई सेगमेंट में हमारी वृद्घि सालाना आधार पर 44 प्रतिशत के साथ काफी मजबूत रही है। चूंकि ज्यादातर एनबीएफसी और एचएफसी रिटेल और एसएमई सेगमेंट पर ध्यान दे रही हैं, जिससे इस सेक्टर के लिए नकदी की जरूरत बढ़ेगी। इसका खपत और संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर असर दिखेगा।
|