वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर करीब 9 लोग इस्तीफ दे चुके हैं ►अंकित भाटी को मिलेगी कैब कारोबार की कमान, प्रबंधन में तमाम फेरबदल की तैयारी ►खाली हुए अधिकतर पदों पर अब तक नहीं हुई हैं नियुक्तियां ►अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया समूह का नया ढांचा ओला के सह-संस्थापक अंकित भाटी को जल्द ही बेंगलूरु की इस कंपनी का मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) बनाया जा सकता है। कंपनी की योजनाओं से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शुरू से ही सबसे अधिक चर्चित रहे ओला के संस्थापक भवीश अग्रवाल को ग्रुप सीईओ बनाया जा सकता है। ओला ने मई में एक समूह कंपनी बनाई थी जिसके तहत फूडपांडा, भारतीय कैब कारोबार और समूह की इकाइयों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार को रखा गया था। समूह के ढांचे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओला के विस्तार को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। हाल में इस कैब एग्रीगेटर कंपनी ने केन्या में अपना कारोबार शुरू करने के लिए अपनी एक टीम को नैरोबी रवाना किया था। कंपनी ने चीन से नए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दोगुना विस्तार करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के मानव संसाधन विकास विभाग के प्रमुख से लेकर कानूनी प्रभाग के शीर्ष अधिकारी तक इस्तीफा देने वालों की सूची काफी लंबी है। इसमें मुख्य परिचालन अधिकारी विशाल कौल भी शामिल हैं जिन्होंने करीब डेढ़ वर्ष पहले अपना इस्तीफा दिया था। इसके अलावा मानव संसाधन अधिकारी सुशील बालकृष्णन ने अपनी नियुक्ति के तीन महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया था। हाल में ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड के लिए विपणन निदेशक नताशा डाली ने भी इस्तीफा दे दिया है। पिछले कुछ महीने के दौरान ओला के वरिष्ठ प्रबंधन स्तर पर करीब 9 लोग इस्तीफ दे चुके हैं।यहां तक कि अग्रवाल के चीफ ऑफ स्टाफ अक्षय अलादी ने भी करीब एक साल पहले इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा पिछले तीन महीने के दौरान कंपनी के उपाध्यक्ष एवं प्रोडक्ड लीडर स्तर पर भी कई लोगों ने इस्तीफा दे दिया। ओला ने इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। कंपनी के करीबी सूत्रों के अनुसार, इस प्रकार खाली हुए अधिकतर पदों पर ओला ने अब तक कोई नियुक्ति नहीं की है। पिछले छह महीने के दौरान ओला से कुछ प्रतिभाओं को फूडपांडा में भेज दिया गया ताकि कंपनी के परिचालन खर्च को घटाया जा सके।कंपनी के एक करीबी सूत्र ने कहा, 'कुछ लोगों ने बेहतर अवसर मिलने पर अपना इस्तीफा दे दिया, लेकिन कुछ अन्य लोग कामकाज में हुए अचानक बदलाव के कारण इस्तीफा दे दिया। इसी प्रकार कुछ लोगों पर काम का बोझ काफी बढ़ गया था।' उबर भले ही ओला की सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धी है, लेकिन कंपनी कैब एग्रीगेटर के इतर कारोबार का विस्तार कर अन्य प्रतिस्पर्धियों को भी टक्कर दे रही है। उदाहरण के लिए, ओला के स्वामित्व वाली फुडपांडा बाजार में स्विगी, जोमैटो एवं हाल में उबरईट्स जैसे प्रतिस्पर्धियों का सामना कर रही है। फूडपांडा अब किराना डिलिवरी श्रेणी में प्रवेश की योजना बना रही है और इस प्रकार बाजार में उसकी प्रतिस्पर्धा अब बिग बास्केट, ग्रोफर्स और एमेजॉन जैसी प्रमुख कंपनियों से होगी।
