डीलर को मुनाफा जमा करने के आदेश | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली December 07, 2018 | | | | |
राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएनए) ने जॉनसन ऐंंड जॉनसन के एक डीलर को 18 प्रतिशत ब्याज के साथ 5,01,646 रुपये उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा करने का आदेश दिया है। प्राधिकरण ने पाया कि डीलर ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम किए जाने के बाद दो उत्पादों का आधार मूल्य ज्यादा लिया। जीएसटी परिषद ने जीएसटी दरों में बदलाव किया था, जो 15 नवंबर 2017 से लागू हुुआ था। जॉनसन ऐंंड जॉनसन के बेबी शैंपू और बेबी पाउडर को लेकर एनएनए में शिकायत दर्ज कराई गई थी।
बहरहाल डीलर ने एनएनए को अपने जवाब मं कहा कि बिल पूरी तरह से जेऐंडजे के नियंत्रण में दिया गया था और उसने बिलिंग सॉफ्टवेयर में कोई बदलाव नहींं किया तथा उल्लिखित उत्पादों की बिक्री अधिकतम खुदरा मूल्य पर कर दी, जो सॉफ्टवेयर में अपलोड किया गया था। उसने एनएनए को 'डिस्ट्रीब्यूटर समझौते' की प्रति भी दी, जिसमें जेऐंडजे के साथ समझौते के तहत आपूर्ति हुई थी। उसने कहा कि समझौते के मुताबिक उसे जेऐंडजे की ओर से खुदरा वितरण स्टॉकिस्ट (आरडीएस) नियुक्त किया गया था, जो सॉफ्टवेयर 'वेव' के इस्तेमाल को लेकर समझौते की शर्तों से बंधा हुआ था।
बहरहाल एनएए ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि डीलर ने आधार मूल्य बढ़ाकर लिए, जो 15 नवंबर 2017 से लागू था, जबकि उसे घटी हुई कर दरों का लाभ अपने ग्राहकों को देना था और इस तरह से इसमें मुनाफाखोरी का मामला बनता है। एनएए ने पाया कि डीलर कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सका कि उसने जेऐंडजे को सूचित किया हो कि वह कर की दरें घटने के कारण कीमतें घटाने को मजबूर है और जेऐंडजे या तो आधार मूल्य न बढ़ाए या उसे लाभ दे,जिससे वह उसे ग्राहकों तक पहुंचा सके। प्राधिकरण ने कहा कि ऐसा लगता है कि डीलर ने जानबूझकर बढ़ा मूल्य लिया, जिससे उसे जेब में धन आ सके, जबकि वह ग्राहकों को लाभ देने को प्रतिबद्ध था।
केपीएमजी के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, 'इस आदेश से यह साफ होता है कि अगर दरें कम होने का लाभ देने में ईआरपी सीमाओं, आधार मूल्य में बढ़ोतरी, समझौतोंं की सीमाओं आदि जैसी वजहों के कारण सक्षम नहीं होता है तो उसके लिए पर्याप्त दस्तावेजी साक्ष्य होने चाहिए, अन्यथा वह ग्राहकों को लाभ पहुंचाने से नहीं रोक सकता है।' ईवाई में पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि इस प्रावधान से साफ हुआ है कि मुनाफाखोरी रोधी प्रावधानों के अनुपालन का दायित्व उत्पादों के बिक्रेता पर है। उन्होंने कहा, 'अंतिम ग्राहक को सामान बेच रहा खुदरा बिक्रेता कीमतें कम करने की अपनी जबावदेही सामान के विनिर्माता पर नहींं डाल सकता।'
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