केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दिए जाने के साथ वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि जैविक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात पर सभी प्रकार के प्रतिबंध हटाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र के विकास का मार्ग सुगम होगा। मंत्रिपरिषद ने नीति के क्रियान्वयन पर निगरानी के लिए एक केंद्रीय व्यवस्था बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के साथ-साथ संबंधित राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे। इसका सूत्रधार वाणिज्य मंत्रालय होगा। एसोचैम द्वारा खाद्य प्रसंस्करण में सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्यम (एमएसएमई) पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के बारे में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि पूरी नीति के एक हिस्से के रूप में, राज्य सरकारों की पूर्ण भागीदारी के साथ शीत शृंखला आधारभूत संरचना का निर्माण पर आक्रामक ढंग से काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य सरकारों ने एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का फैसला किया है जो आधारभूत संरचना बनाने के लिए काम करेगा। उन्होंने कहा कि ठीक इसी के साथ ही, निर्यात को संभाव्यता बढ़ाने के लिए, सरकार जैविक खाद्य पदार्थों के साथ-साथ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटाएगी। मंत्री ने सभा में भाग ले रहे व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों को बताया कि अन्य कृषि उत्पादों के लिए, स्थिति के आधार पर, हम सभी प्रतिबंधों को हटा देंगे। प्रभु ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से परामर्श करने के बाद कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि यह वह नीति होगी जो उन राज्यों में लागू की जाएगी जिनके लिए हमने ढांचा तैयार करने का फैसला किया है। नीति पर विस्तार से प्रभु ने कहा कि विचार यह है कि हम प्रत्येक राज्य में उत्पादित प्राकृतिक उत्पादों के आधार पर कृषि, बागवानी, मांस, डेयरी और अन्य उत्पादों के लिए इकाइयों के संकुल (क्लस्टर) विकसित करें। केंद्र सरकार उपस्कर (लॉजिस्टिक्स) पर भी काम कर रही है, जिसके लिए संपर्क मार्ग एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व होगा। प्रभु ने कहा कि उचित संपर्क सुविधा प्रदान की जाएगी ताकि उत्पादन को बरबादी से बचाने के लिए उसे कम से कम संभव समय में ले आया जाया जा सके। मंत्री ने कहा कि भारत में 30 प्रतिशत फल प्रसंस्करण और रखरखाव की उचित सुविधा नहीं होने से बरबाद हो जाता जबकि यह देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फल-सब्जी उत्पादक है। प्रभु ने यह भी कहा कि सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को विकसित करने के लिए निवेश आकर्षित करने की ओर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण बेहद महत्त्वपूर्ण है और भारत में इसे बड़े पैमाने पर इसके विस्तार की जरूरत है। उन्होंने बताया कि अबू धाबी निवेश प्राधिकरण ने भारत में इस क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए प्रतिबद्धता जताई है। समुद्री उत्पाद निर्यात की संभावनओं उपयोग करने पर भी जोर देते हुए प्रभु ने कहा कि केंद्र सरकार गोवा समेत 13 तटीय राज्यों के साथ मिलकर समुद्री उत्पाद निर्यात को दोगुना करने के लिए काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जापान और कोरिया जैसे देशों से निवेश की उम्मीद है।
