'भारतीय शेयरों की कीमत उचित स्तर पर है' | ऐश्ली कुटिन्हो / December 06, 2018 | | | | |
केनरा रोबेको म्युचुअल फंड के प्रमुख (इक्विटी) कृष्ण सांघवी ने कहा कि 2019 के आम चुनाव के नतीजों के अनुमानों का रुझान पर असर पड़ सकता है और इससे उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। उन्होंने ऐश्ली कुटिन्हो के साथ साक्षात्कार में कहा कि अगले छह महीनों के दौरान उन मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में खरीदारी के चुनिंदा अवसर आ सकते हैं, जिनमें पिछले कुछ महीनों के दौरान भारी गिरावट आई है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
अगले साल बाजार को लेकर आपका क्या अनुमान है?
भारत के लिए वृहद आर्थिक माहौल नवंबर में तेजी से सुधरा है, विशेष रूप से तेल की कीमतों में भारी गिरावट के कारण। तेल की कीमतों का चालू खाते के घाटे, राजकोषीय घाटे, मुद्रा और ब्याज दरों पर बड़ा असर पड़ता है। इस लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों का परिदृश्य पिछले 2-3 महीनों पहले की तुलना में काफी सुधरा है। हालांकि अब भी हमारा मानना है कि कई अनिश्चितताओं के कारण बाजारों को अगले छह महीनों के दौरान कई चुनौतियों और जोखिमों का सामना करना पड़ेगा। इनमें अनिश्चितताओं में ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध में अमेरिका के आंशिक छूट देने के बाद मई, 2019 में तेल के दाम, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मौद्रिक सख्ती का अनुमान, एनबीएफसी में नकदी की चिंताएं और चुनाव के नतीजे आदि शामिल हैं। हमारा मानना है कि इन चीजों को लेकर स्थितियां छह महीनों में साफ होंगी।
क्या इस समय भारतीय शेयरों का मूल्य वाजिब से ज्यादा है? मिड और स्मॉल-कैप पर आपका नजरिया...
बाजारों का मूल्यांकन उचित स्तर पर है। निफ्टी वित्त वर्ष 2020 की आमदनी के करीब 16 से 17 गुना पर कारोबार कर रहा है। मिड और स्मॉल कैप के मूल्यांकन में 2018 के दौरान भारी गिरावट आई है और मिड-कैप और लार्ज कैप के मूल्यांकन के बीच अंतर काफी घटा है। इस सेगमेंट में बड़ी गिरावट आई है, इसलिए अगले छह महीनों के दौरान खरीदारी के चुनिंदा मौके आने की संभावना है।
आपके हिसाब से तेल की कीमतों, बॉन्ड प्रतिफल और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत पहल को लेकर क्या स्थिति रहेगी?
तेल की कीमतें घटकर 60 से 65 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं, जो भारत के लिए निश्चित रूप से अच्छी खबर है। हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगा कि बुरा दौर बीत चुका है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है क्योंकि वह ब्याज दरों को सामान्य स्तर पर लाना चाहता है। ऐसा लगता है कि दर बढ़ाने में वर्तमान मजबूत आर्थिक आंकड़ों और 2019 एवं 2020 में वृद्धि में गिरावट की आशंकाओं के बीच संतुलन साधना होगा।
आम चुनावों का बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
वर्ष 2019 में आम चुनावों के नतीजों के अनुमानों का बाजार के रुझान पर असर पड़ेगा और अगले 5 से 6 महीनों के दौरान उतार-चढ़ाव रहेगा। अच्छी खबर यह है कि चुनाव नजदीक आ गए हैं। इसलिए उतार-चढ़ाव की अवधि पहले की तुलना में कम रहेगी। यह उल्लेखनीय है कि चुनाव पूरे होने के बाद हम आर्थिक वृद्धि, कंपनी आमदनी और उसके बाजारों पर असर जैसे बुनियादी एजेंडों पर चर्चा करने लगेंगे।
क्या आपको लगता है कि आगामी महीनों में म्युचुअल फंडों में प्रवाह का रुझान पलटेगा?
भारतीय निवेशकों और वित्तीय सलाहकारों ने बीते वर्षों के दौरान समयावधि के लिहाज से इक्विटी संपत्तियों को लेकर अपना आउटलुक बदला है। उद्योग में निवेश को बनाए रखने की औसत अवधि और एसआईपी की ïअवधि में बढ़ोतरी हो रही है।
क्या आपको लगता है कि आगामी तिमाहियों के दौरान कंपनियों की आमदनी में सुधार बरकरार रहेगा?
हम पहले ही देख चुके हैं कि वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही के दौरान आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। हालांकि सभी क्षेत्रों के मार्जिन और लाभ में एकसमान रफ्तार से बढ़ोतरी नहीं हुई क्योंकि कुछ क्षेत्रों में जिंस या ऊर्जा की कीमतों से मार्जिन पर असर पड़ा है।
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