प्रतिभूति खरीद होगी तेज: आचार्य | अद्वैत राव पालेपू / मुंबई December 05, 2018 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) की नकदी समस्या दूर करने के लिए पिछले दो महीनों के दौरान कई कदम उठाए हैं। इसके नतीजतन पूरे आर्थिक तंत्र में नकदी की किल्लत घटकर 30 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 75.32 अरब रुपये पर आ गई है। यह पिछले 8 सप्ताह का सबसे निचला स्तर है। केयर रेटिंग्स के मुताबिक दो सप्ताह पहले औसत नकदी कमी 100 अरब रुपये से अधिक थी। यह सितंबर के मध्य में 130.36 अरब रुपये के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई थी।
द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान आरबीआई के डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य ने कहा, 'आरबीआई अगस्त से ही बाजार के घटनाक्रम पर कड़ी नजर बनाए हुए है। हम लगातार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के संपर्क में हैं ताकि म्युचुअल फंड रिडेंपशन के नतीजों और इससे एनबीएफसी तथा एचएफसी के लिए कर्ज को आगे बढ़ाने के जोखिमों का आकलन किया जा सके।' आचार्य ने कहा, 'आरबीआई पूरे तंत्र की नकदी की समस्या को दूर करने के सिद्धांत में विश्वास रखता है, इसलिए आरबीआई आखिरी उपाय के रूप में ऋणदाता बनने को तैयार है। हालांकि वह ऐसा कड़ा उपाय तभी करेगा, जब ऐसे हालात पैदा हो जाएंगे।' उन्होंने कहा, 'हमारा आकलन कहता है कि इस समय ऐसे कदमों की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था की सेहत अच्छी है।'
आचार्य ने कहा कि आरबीआई ने जिन उपायों की घोषणा की है, उनमें ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) खरीद शामिल है। यह खरीद चालू वित्त वर्ष में 1.36 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। पिछले तीन महीनों के दौरान कुल ओएमओ खरीद 1 लाख करोड़ रुपये रही है। हाल में केंद्रीय बैंक ने दिसंबर के लिए 400 अरब रुपये की ओएमओ खरीद की घोषणा की है। आचार्य ने कहा कि केंद्रीय बैंक का मानना है कि मार्च के अंत तक ओएमओ खरीद की रफ्तार और मात्रा बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। आरबीआई ने पिछले दो महीनों के दौरान टर्म रीपो और तरलता समायोजन सुविधा के जरिये आर्थिक तंत्र में नकदी झोंकी है ताकि बैंक अपनी नकदी बढ़ा सकें।
कुल रीपो उधारियां (रीपो, टर्म रीपो और एमएसएफ) नवंबर के मध्य में 137.4 अरब रुपये थीं, जो नवंबर के अंत में घटकर 116.82 अरब रुपये पर आ गई हैं। वहीं रिवर्स रीपो लेनदेन नवंबर के अंत में बढ़कर 74.33 अरब रुपये पर पहुंच गए हैं, जो नवंबर के मध्य में 54.32 अरब रुपये थे। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने हाल में एक रिपोर्ट में कहा, '30 नवंबर को समाप्त सप्ताह में नकदी की कमी घटने की कई वजह हैं। इनमें त्योहारी मांग घटना, रुपये के मजबूत होने से आरबीआई के विदेशी विनिमय में कम हस्तक्षेप करना और केंद्रीय बैंक का ओएमओ खरीद के जरिये अर्थव्यवस्था में नकदी झोंकना आदि शामिल हैं।' आरबीआई की पहलों से बैंकों, एनबीएफसी और एचएफसी को अपनी स्थिति दुरुस्त करने में मदद मिली है।
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