►सन फार्मा का शेयर बुधवार को 412.95 रुपये पर बंद हुआ जो मार्च 2013 के बाद सबसे निचला स्तर है
►कंपनी का बाजार पूंजीकरण घटकर 990.80 अरब रुपये रह गया
►बाजार पूंजीकरण के लिहाज से बीएसई में यह शेयर 26वें पायदान पर
प्रमुख दवा कंपनी सन फार्मा के शेयर में गिरावट के कारण उसके निवेशकों को पिछले 10 दिनों में 126 अरब रुपये का झटका लगा है। पिछले तीन कारोबारी सत्रों में गिरावट जारी रहने से कंपनी का शेयर आज 5 साल 8 महीने के निचले स्तर तक लुढ़क गया। कंपनी के प्रवर्तकों को 26 नवंबर के बाद पिछले 10 दिनों में 126.6 अरब रुपये का नुकसान हो चुका है। कंपनी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 54 फीसदी से अधिक है। सोशल मीडिया पर एक विदेशी प्रतिभूति कंपनी द्वारा कंपनी प्रशासन में खामी संबंधी आरोप लगाए जाने के बाद कंपनी के मूल्यांकन को तगड़ा झटका लगा है। इसे भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के रुख से भी धार मिली। बाजार नियामक एक व्हिसलब्लोअर की शिकायत के बाद कंपनी और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ भेदिया कारोबार का मामला दोबारा खोलने की योजना बना रहा है।
सन फार्मा का शेयर आज 412.95 रुपये पर बंद हुआ जो मार्च 2013 के बाद सबसे निचला स्तर है। इस लिहाज से कंपनी का बाजार पूंजीकरण घटकर 990.80 अरब रुपये रह गया है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर यह शेयर बाजार पूंजीकरण के लिहाज से अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले 26वें पायदान पर रखा गया। यह भी मार्च 2016 के बाद का निचला स्तर है क्योंकि उस समय बाजार पूंजीकरण के आधार पर कंपनी छठे पायदान पर थी।
इससे पहले मार्च 2013 में सन फार्मा का शेयर 409.2 रुपये के निचले स्तर पर था और उस दौरान बाजार पूंजीकरण के लिहाज से वह 15वें पायदान रहा था जो मौजूदा स्तर से कहीं बेहतर है। सन फार्मा का शेयर 7 अप्रैल 2015 को 1,200.7 रुपये पर अपनी सर्वकालिक ऊंचाई को छुआ था।
अप्रैल 2015 में सन फार्मा के प्रबंध निदेशक दिलीप सांघवी की शुद्ध हैसियत 25 अरब डॉलर आंकी गई थी। साल 2015 में सबसे अमीर भारतीय के तौर पर उन्होंने कुछ समय के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी को भी पछाड़ दिया था। लेकिन उसके बाद कंपनी के शेयर में लगातार गिरावट दर्ज की गई और उसकी मुख्य वजह रैनबैक्सी इकाइयों के लिए अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए द्वारा उठाई गई समस्याएं रहीं। सांघवी ने सोमवार को एक कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिये निवेशक समुदाय से बातचीत की थी। हालांकि इससे निवेशकों की चिंता दूर करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली।
नोमुरा के विश्लेषकों ने एक हालिया नोट में कहा है कि सन फार्मा के मामले में मुख्य तौर पर दो मुद्दे हैं- पहला, प्रवर्तकों का आचरण और क्या भेदिया सूचनाओं से प्रवर्तकों अथवा संबंधित पक्षों को फायदा हुआ या नहीं। दूसरा मुद्दा प्रवर्तक कंपनियों के साथ लेनदेन एवं सन फार्मा के पुनर्गइन को लेकर है। नामुरा ने कहा, 'इस प्रकार का ढांचा और लेनदेन हमारी नजर में अन्य औषधि कंपनियों में सामान्य बात नहीं है।'
कंपनी में खुलासा के अभाव को लेकर विश्लेषक नाखुश दिख रहे हैं। एडलवाइस के विश्लेषकों ने कहा, 'सन फार्मा जब तक निवेशकों का भरोसा कम करने वाले अपने कुछ ढांचों और लेनदेन का नए सिरे से आकलन नहीं करेगी तब तक कंपनी के प्रदर्शन पर इस प्रकार के मुद्दों का साया बरकरार रहेगा।' इस बीच, समूह की कंपनी सन फार्मा एडवांस्ड रिसर्च (एसपीएआरसी) का शेयर भी बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 6.92 फीसदी गिरावट के साथ पिछले चार साल के निचले स्तर 223.4 रुपये पर बंद हुआ।
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