डायरेक्ट प्लान के लिए फंडों ने बदला खर्च का ढांचा | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई November 30, 2018 | | | | |
बाजार नियामक सेबी ने खर्च के आकलन के तरीके में और पारदर्शिता के लिए दिशानिर्देश सामने रखा है और िवभिन्न फंड हाउस ने अपने-अपने डायरेक्ट प्लान के लिए खर्च में कटौती की है और इसमें इजाफा भी किया है। मोटे तौर पर खर्च घटाया गया है, जो निवेशकों के लिए सकारात्मक है क्योंकि इससे रिटर्न को मजबूती मिल सकती है। मोतीलाल ओसवाल म्युचुअल फंड और ऐडलवाइस म्युचुअल फंड की अपनी-अपनी डायरेक्ट इक्विटी योजनाओं के खर्च में 20-30 आधार अंकों की कमी आई है। वहीं दूसरी ओर एचडीएफसी म्युचुअल फंड और फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड ने अपनी-अपनी डायरेक्ट योजनाओं के खर्च में 2 से 10 आधार अंकों का इजाफा किया है।
एडलवाइस म्युचुअल फंड की मुख्य कार्याधिकारी राधिका गुप्ता ने कहा, खर्च में कटौती रेग्युलर और डायरेक्ट प्लान की कीमतों को सेबी के परिपत्र से जोडऩे के लिए की गई है। हम अपने रेग्युलर और डायरेकक्ट प्लान की कीमतों को उपयुक्त बनाने के लिए और वितरक साझेदारों को सही तरीके से पारिश्रमिक देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह कदम इसे प्रतिबिंबित करता है। डायरेक्ट प्लान में निवेश करने वालों के लिए यह सकारात्मक है क्योंंकि इन फंडों की लागत अब कम होगी। एक बड़े फंड हाउस के अधिकारी ने डायरेक्ट प्लान के खर्च में बढ़ोतरी और वितरकों के कमीशन में कटौती की वजह म्युचुअल फंडों की तरफ से 20 आधार अंकों से लेकर 5 आधार अंक तक वसूले जाने वाले अतिरिक्त खर्च में नियामक की तरफ से हुई कटौती को जिम्मेदार ठहराया।
विशेषज्ञों के मुताबिक, खर्च को उपयुक्त बनाने का कारण इससे जुड़ा हुआ है कि फंड हाउस अपने-अपने वितरकों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन का प्रबंधन कैसे कर रहे हैं। खर्च में तीव्र कटौती का मतलब यह है कि कमीशन पर हुए बचत का फायदा डायरेक्ट प्लान के निवेशकों को पूरी तरह से नहीं दिया गया। सेबी के साल 2012 के परिपत्र के मुताबिक, डायरेक्ट प्लान से वितरकों का खर्च अलग होता है और ऐसे प्लान से कोई कमीशन नहीं दिया जाता। अलग-अलग फंड हाउस अपने खर्च का आकलन अलग-अलग तरह से करते हैं।
मान लेते हैं कि इक्विटी योजनाओं के प्रबंधन के लिए कुल खर्च अनुपात 200 आधार अंक है तो वितरकों को 100 आधार अंक कमीशन का भुगतान किया जाता है। इस मामले में डायरेक्ट प्लान के लिए कुल खर्च अनुपात करीब 100 आधार अंक है। अगर कोई फंड हाउस 100 आधार अंक से ज्यादा वसूलते हैं तो इसका मतलब यह है कि इसे या तो फंड हाउस अपने पास रख लेते हैं या फिर इसका इस्तेमाल वितरण की गतिविधियों पर किया जाता है, लेकिन नियामक ने इस पर लगाम कस दिया है। डायरेक्ट प्लान का कुल खर्च अनुपात अगर 100 आधार अंक से कम है तो इसका मतलब शायद यह है कि डायरेक्ट प्लान को रेग्युलर प्लान के जरिए सब्सिडी दी गई है क्योंकि फंड हाउस ज्यादा प्रत्यक्ष रकम आकर्षित करना चाहते हैं।
मुंबई के फाइनैंशियल प्लानर अमोल जोशी के मुताबिक, नियामक ने निवेश प्रबंधन के शुल्क से जुड़ी खामियां दूर कर दी है और स्पष्ट कर दिया है कि डायरेक्ट व रेग्युलर प्लान के बीच अंतर सिर्फ और सिर्फ वितरण के लिए प्रोत्साहन के भुगतान या खर्च का ही रह सकता है। जोशी ने कहा, अगर डायरेक्ट प्लान का कुल खर्च अनुपात काफी ज्यादा सही किया गया है तो इसका मतलब यह है कि पहले डायरेक्ट प्लान को सब्सिडी मिलती थी। अगर कुल खर्च अनुपात घटाया गया है तो इसका मतलब यह है कि प्रत्यक्ष निवेशकों से ज्यादा वसूला जा रहा था और पिछले परिपत्र से इस गड़बड़ी को दूर किया गया है।
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