कार के दाम बढ़ाने की जल्द हुई घोषणा | |
अजय मोदी / नई दिल्ली 11 29, 2018 | | | | |
कार विनिर्माताओं ने अपने वाहनों की कीमतों में वृद्धि की घोषणा में काफी जल्दबाजी दिखाई है। वाहन कंपनियां आमतौर पर नए कैलेंडर वर्ष में अपने उत्पादों के दाम बढ़ाती हैं और उसकी घोषणा कुछ दिन पहले करती रही हैं। लेकिन इस बार कार विनिर्माताओं ने वास्तविक वृद्धि से पांच सप्ताह पहले कीमत में बढ़ोतरी की घोषणा की है। जानकारों का कहना है कि कार कंपनियों ने कीमत वृद्धि की घोषणा काफी समय पहले इसलिए की है ताकि ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने अपने बहुउद्देशीय वाहन माराजो की कीमतों में 40,000 रुपये की वृद्धि की घोषणा प्रभावी होने की तिथि से 45 दिन पहले की है। जबकि लक्जरी कार बनाने वाली कंपनी बीएमडब्ल्यू ने कीमतों में वृद्धि की घोषणा वास्तविक वृद्धि से 40 दिन पहले की है। कंपनी जनवरी से अपने वाहनों की कीमतों में 4 फीसदी की वृद्धि करना चाहती है। आमतौर पर वाहन कंपनियां अपनी लागत बोझ को हल्का करने के लिए जनवरी से दाम बढ़ाती रही हैं।
पिछली बार इस तरह की वृद्धि की घोषणा दिसंबर के दूसरे अथवा तीसरे सप्ताह में की गई थी। लेकिन इस साल त्योहारी सीजन में कमजोर बिक्री के कारण बची हुई इन्वेंटरी को खपाने के लिए कंपनियों ने कीमत वृद्धि की घोषणा करने में जल्दबाजी दिखाई है। उम्मीद की जा रही है कि कीमत में वृद्धि की घोषणा किए जाने से ग्राहकों को शोरूम तक लाने में मदद मिलेगी जिससे बिक्री को रफ्तार मिलेगी।
जापान की कार विनिर्माता टोयोटा ने प्रभावी तिथि से पांच सप्ताह पहले मंगलवार को अपने वाहनों की कीमतों में 4 फीसदी तक बढ़ोतरी करने की घोषणा की है। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उप प्रबंध निदेशक एन राजा ने कहा, 'कीमत में वृद्धि की घोषणा के जरिये उन ग्राहकों को संदेश देने की कोशिश की गई है जो जनवरी से पहले बेहतर सौदा करना चाहते हैं। ऊंची लागत को वहन करना अब कठिन हो चुका है क्योंकि इसका असर वित्तीय सेहत पर पडऩा शुरू हो जाएगा।
आमतौर पर किसी भी वृद्धि से मांग 2 से 3 फीसदी घट जाती है और उसके प्रभाव को सामान्य होने में एक तिमाही तक का समय लग जाता है।'रुपये के मुकाबले डॉलर में हालिया सुधार के बाद दो अंकों की गिरावट से कलपुर्जें आयात करने वाले विनिर्माताओं के मार्जिन पर दबाव बढ़ा है। अमेरिकी वाहन कंपनी फोर्ड की भारतीय इकाई ने भी कहा है कि वह कीमत बढ़ाने की तैयारी कर रही है। हालांकि कार बाजार की अग्रणी कंपनी मारुति सुजूकी और हुंडई ने फिलहाल कीमत वृद्धि की पुष्टिï नहीं की है। इन दोनों कंपनियों का कुल मिलाकर दो-तिहाई घरेलू कार बाजार पर कब्जा है।
दिलचस्प है कि कार कंपनियां ऐसे समय में कीमत बढ़ाने की चर्चा कर रही हैं जब अधिकतर वाहनों पर भारी छूट की पेशकश की जा रही हैं और अधिकतर मामलों में कोई प्रतिक्षा अवधि भी नहीं है। अधिकतर डीलर त्योहारी सीजन की बची इन्वेंटरी को खपाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने पिछले सप्ताह एक बयान जारी कर कहा था कि त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले कार डीलरशिप पर इन्वेंटरी का औसत स्तर 50 दिनों का था जो तीन सप्ताह पहले दीवाली के साथ ही त्योहारी सीजन के खत्म होने पर घटकर 45 दिनों का रह गया है।
कीमतों में वृद्धि के बाद वाहन कंपनियों की प्रति वाहन प्राप्तियों में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है क्योंकि छूट जारी रहने अथवा बढऩे की उम्मीद है। एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा कि अधिकतर वाहनों पर औसतन 6 से 7 फीसदी की छूट दी जा रही थी। इससे पहले जुलाई से अगस्त में कंपनियों ने वृद्धि की घोषणा की थी जबकि बाद के महीनों में भारी छूट के जरिये उसकी भरपाई की गई। जनवरी से मार्च 2018 तिमाही में मारुति सुजूकी ने प्रति वाहन छूट को औसतन 34 फीसदी बढ़ाकर 18,700 रुपये कर दिया था। जुलाई से सितंबर तिमाही के आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है।
बहरहाल, पहले जनवरी में और उसके बाद अगस्त में की गई कुल मिलाकर दो वृद्धि के बावजू प्रति वाहन औसत प्राप्तियां लगभग स्थिर रहीं। मारुति सुजूकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) आरएस कलसी ने कहा, 'छूट बाजार से प्रेरित है। हर कोई रोमांच पैदा करना चाहता है और खराब बाजार परिदृश्य में छूट में तेजी आती है।'
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