विदेशी फंड भारत में घटा रहे निवेश | जश कृपलानी / मुंबई November 28, 2018 | | | | |
भारत-केंद्रित विदेशी फंड हाल के महीनों में पैदा हुई अनिश्चितताओं से निपटने के लिए अपने पोर्टफोलियो में बदलाव पर जोर दे रहे हैं। फ्रेंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट (फ्रेंकलिन इंडिया एमएफ) ने सितंबर तिमाही में अपना निवेश 83 करोड़ डॉलर तक घटाया। एबरडीन ग्लोबल (इंडियन इक्विटी फंड एमएफ) ने अक्टूबर में अपने निवेश में 13 करोड़ डॉलर तक की कमी की।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि फ्रेंकलिन इंडिया एमएफ ने अपने पोर्टफोलियो में 42 कंपनियों में से 19 में अपनी शेयर पोजीशन घटाई है। उसने 6 कंपनियों में ही अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, उसकी शेयरधारिता 16 अन्य कंपनियों में अपरिवर्तित बनी रही। फ्रेंकलिन इंडिया एमएफ ऐक्सिस बैंक, एसबीआई और एचसीएल समेत पांच कंपनियों में अपने निवेश से पूरी तरह से बाहर हुआ।
एबरडीन ग्लोबल इंडिया इक्विटी फंड के मामले में, चार कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई गई, जबकि 11 अन्य में उसकी शेयरधारिता में कमी दर्ज की गई। शेष 19 में शेयर पोजीशन अपरिवर्तित बनी रही। अक्टूबर के लिए फंड प्रबंधक की रिपोर्ट में एबरडीन न्यू इंडिया इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट ने कहा है, 'परिदृश्य अस्पष्ट बना हुआ है, क्योंकि भू-राजनीतिक और व्यापारिक तनाव से धारणा प्रभावित हुई है।
इसे देखते हुए भारतीय बाजारों को भविष्य में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। घरेलू संदर्भ में, ऊंची तेल कीमतों से आर्थिक मंदी की गहराती चिंताओं, तरलता की सख्त स्थिति, बढ़ती लागत के दबाव और आईएलऐंडएफएस संकट से पैदा हुए प्रभाव को देखते हुए रुपये को दबाव का सामना करना पड़ेगा।
राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ सकती है, क्योंकि भारत चुनावी सीजन में प्रवेश कर चुका है।' हालांकि अक्टूबर के शुरू से कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट से इनमें से एक चिंता दूर होती दिख रही है, लेकिन राजनीतिक अनिश्चितता हाल के महीनों में बढ़ी है। विश्लेषकों का मानना है कि 2019 के आम चुनाव से पहले हो रहे राज्य चुनाव बाजारों की मध्यावधि दिशा प्रभावित कर सकते हैं।
इस परिवेश में, विदेशी फंड प्रबंधक नए अवसर तलाशने के बजाय दीर्घावधि ढांचागत कहानियों पर ध्यान दे रहे हैं। एबरडीन के फंड प्रबंधक की रिपोर्ट में कहा गया है, 'हम उन कंपनियों में बने हुए हैं जो भारत के दीर्घावधि खपत रुझानों से लाभान्वित होंगी। हम वित्तीय क्षेत्र में मौजूदा दबाव को अवसर के तौर पर देख रहे हैं। हम मजबूत जमा वाली फ्रेंचाइजी से जुड़े अच्छी गुणवत्ता वाले वाणिज्यिक बैंकों पर ध्यान दे रहे हैं।'
आंकड़ों से पता चलता है कि उसके इंडियन फंड ने अक्टूबर में कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी उत्पाद सेगमेंट में अपना निवेश 0.7 प्रतिशत तक बढ़ाया। वित्तीय कंपनियों में निवेश में 1.7 प्रतिशत तक का इजाफा किया। अक्टूबर के अंत में फंड का क्षेत्रीय निवेश वित्तीय कंपनियों में 26.2 प्रतिशत, कंज्यूमर स्टैपल्स में 18.7 प्रतिशत और प्रौद्योगिकी में 18.2 प्रतिशत था।
कुछ कंपनियों में फंड के निवेश में कमी आई। फंड ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज, एम्फेसिस, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, इमामी, आईटीसी, एचडीएफसी और गोदरेज कंज्यूमर में निवेश घटाया।
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