राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा नियुक्त समिति ने कहा है कि तमिलनाडु सरकार द्वारा थूथुकुडी में स्टरलाइट कॉपर के संयंत्र को बंद करना उचित नहीं था। एनजीटी के इस रुख से वेदांत समूह की स्टरलाइट कॉपर ने राहत की सांस ली है। एनजीटी ने तमिलनाडु सरकार को इस संबंध में एक सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार ने न ही कोई नोटिस जारी किया है और न ही स्टरलाइट को तथ्यों को पेश करने का अवसर दिया है। मेघालय उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तरुण अग्रवाल के नेतृत्व वाली समिति ने कहा है, 'राज्य सरकार इकाई को बंद करने की कई वजह बता सकती है। लेकिन यह बंदी उचित नहीं है।' स्टरलाइट कॉपर की अधिवक्ता अरयमा सुंदरम ने कहा, 'समिति की रिपोर्ट संयंत्र को खोले जाने की दिशा में अनुकूल है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संयंत्र को बंद करना उचित नहीं है और इसे स्थायी तौर पर बंद कर देना सही नहीं है। संयंत्र को बंद करने की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई।'समिति ने कई सुझाव दिए हैं जो उचित हैं जिनमें भूजल और हवा की नियमित तौर पर निगरानी शामिल है।
स्टरलाइट कॉपर के मुख्य कार्याधिकारी पी रामनाथ ने कहा, 'हम अपने परिचालन के संदर्भ में हमेशा से पर्यावरण के प्रति सजग रहे हैं और सभी कानूनी नियमों का पालन किया है। एनजीटी की समिति ने जांच प्रक्रिया के लिए समय निकाला, निष्पक्ष तौर पर जांच की और उसने दोनों पक्षों के तर्कों को सुना। समिति ने आखिरकार अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया है कि स्टरलाइट कॉपर प्रदूषण की कारक नहीं है। हम हमेशा से यह कहते रहे हैं कि स्टरलाइट कॉपर प्रदूषक नहीं है और एनजीटी की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है। हमें उम्मीद है कि संयंत्र के बंद होने से प्रभावित हुए 25,000 परिवारों की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए जल्द ही फैसला जाएगा।'