'कैंसर की देखभाल हमारी पहली प्राथमिकता' | बीएस बातचीत | | समरीन अहमद / November 28, 2018 | | | | |
भारत की सबसे बड़ी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोकॉन आज अपनी 40 वीं वर्षगांठ बना रही है। कंपनी की चेयरपर्सन एवं प्रबंध निदेशक किरन मजूमदार शॉ ने समरीन अहमद से बातचीत में कहा कि आने वाले वर्षों में कंपनी कैंसर और मधुमेह के उपचार कंपनी के दो प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र होंगे। पेश हैं मुख्य अंश:
बायोकॉन में पिछले 40 वर्षों की यात्रा के दौरान आपको क्या प्रमुख पड़ाव दिखे?
रास्ते में हमें कई पड़ाव दिखे लेकिन प्रमुख पड़ावों में सिनजीन की स्थापना, कंपनी को सूचीबद्ध करना और एशिया में सबसे बड़ी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बनाना शामिल हैं। हमने खुद को एक एंजाइम बनाने वाली कंपनी से एक बायोफार्मास्युटिकल कंपनी के तौर नए सिरे से स्थापित किया। उसके बाद, जाहिर तौर पर हम अमेरिका में अपने बायोसिमिलर के लिए मंजूरी हासिल करने वाली पहली भारतीय कंपनी बने। कंपनी के लिए यह भी एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव था।
कंपनी के लिए अगला चार दशक कैसा रहेगा?
मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं लेकिन पिछले 40 वर्षों के दौरान हमने जो कुछ भी किया है उसका जबरदस्त फायदा अगले 40 वर्षों में मिलने की उम्मीद है।
आगामी वर्षों में कंपनी किन क्षेत्रों पर प्रमुखता से ध्यान देगी?
वह निश्चित तौर पर बायोफार्मास्युटिकल्स होगा क्योंकि वास्तव में हम मधुमेह और कैंसर के उपचार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। आज हम एशिया की सबसे बड़ी बायोफार्मास्युटिकल्स कंपनी हैं और उम्मीद करते हैं कि अगले 20 वर्षों में हम वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनी में शुमार होंगे।
क्या आप किसी नए क्षेत्र में उतरने की योजना बना रही हैं?
नहीं, लेकिन कैंसर की देखभाल पर हम बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और यह न केवल बायोसिमिलर के संदर्भ में बल्कि नोवल मॉलिक्यूल्स श्रेणी के संदर्भ में भी है।
ओरल इन्सुलिन परियोजना के लिए परिक्षण किस चरण में है?
यह चरण 2बी-3 में है। संभवत: दो से तीन वर्षों में हम उसे बाजार में उतारने में सफल होंगे।
वित्त वर्ष 2019 के लिए 20 करोड़ डॉलर के राजस्व लक्ष्य को हासिल करने के लिए आप कितना आश्वस्त हैं?
हां, हम लक्ष्य तक पहुंचने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं।
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