ईवी नीति का स्वागत मगर संदेह के साथ | |
शैली सेठ माहिले / मुंबई 11 28, 2018 | | | | |
► रोड टैक्स, पंजीकरण शुल्क और पार्किंग शुल्क में मिलेगी छूट
► आईसीई दोपहिया मालिकों को मिलेगा 15 हजार रुपये का प्रोत्साहन
► पेट्रोल और डीजल वाहनों पर लगेगा प्रदूषण उपकर
► ई-ऑटो के लिए खुली परमिट व्यवस्था
वाहन बनाने वाली कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के बारे में सरकार की मसौदा नीति का स्वागत किया है लेकिन चार्जिंग के बुनियादी ढांचे और फेम (फास्टर एडॉप्शन ऑफ मेन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना के तहत प्रत्येक वाहन श्रेणी में प्रोत्साहन के बारे में स्पष्टïता के अभाव को लेकर उनके मन में संदेह है।
कुछ कंपनियों ने तो इलेक्ट्रिक बसों की ऊंची लागत और उन्हें खरीदने की राज्य परिवहन निगमों की वित्तीय क्षमता पर चिंता जताई है। मौजूदा नीति में दोपहिया वाहनों और सार्वजनिक परिवहन के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहनों पर जोर दिया गया है और निजी कारों तथा यूटिलिटी वाहनों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
नीति में यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि 2023 में दिल्ली में बिकने वाले नए वाहनों में से कम से कम एक चौथाई इलेक्ट्रिक हों। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही दिल्ली के लिए तो यह सही दिशा में उठाया गया कदम है लेकिन असली चुनौती इसके क्रियान्वयन की है।
सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरन्मेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधरी ने कहा, 'वाहनों से हमारा व्यक्तिगत संपर्क बहुत अधिक है। ऐसे में अगर इन वाहनों से कोई उत्सर्जन नहीं होता है तो निश्चित रूप से स्थानीय प्रभाव खत्म हो जाएगा। दुनिया भर में हमने देखा है कि इस तरह की तरकीब कामयाब नहीं रही है। इसे कारगर बनाने के लिए विशेष लक्ष्यों की जरूरत होती है।'
मंगलवार को जारी मसौदा नीति के मुताबिक दिल्ली ईवी नीति 2018 का मकसद परिवहन क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन में कमी करके राजधानी की हवा के स्तर में उल्लेखनीय सुधार करना है। ऐसा करने के लिए बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों का रुख करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि 2023 में होने वाले नए वाहनों में पंजीकरण में 25 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन हों। इस नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों से तरह-तरह के रोजगार पैदा करने की भी कही गई है।
इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों की संस्था एसएमईवी के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने कहा, 'यह अच्छी नीति है और उद्योग को दिशा देती है लेकिन इसमें विशेष प्रोत्साहनों के बारे में ज्यादा स्पष्टïता होनी चाहिए थी। फेम के लिए 50 फीसदी कहने के बजाय वे पूरी राशि का उल्लेख कर सकते थे क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि एक अप्रैल, 2019 के बाद फेम नीति का क्या होगा।' उन्होंने कहा कि नीति के मुताबिक एक तिहाई नई बसें इलेक्ट्रिक होनी चाहिए।
|