दुर्लभ सफलताओं के सूत्रधार अरोड़ा | |
अर्चिस मोहन / 11 27, 2018 | | | | |
बतौर नौकरशाह 38 साल लंबे करियर में सीईसी का पद अरोड़ा के लिए चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि उनके कार्यकाल में लोकसभा चुनावों के साथ 10 राज्यों में चुनाव होने हैं
देश के नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) 62 वर्षीय सुनील अरोड़ा नियुक्त हुए हैं। वह 2 दिसंबर को ओ पी रावत की जगह लेंगे। 1980 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अरोड़ा के कार्यकाल के दो वर्षों के दौरान 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ कम से कम 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होंगे जिन्हें उनके निरीक्षण में ही पूरा कराया जाएगा। राजनीतिक रूप से इस अहम पड़ाव पर, देश के सीईसी का पद अरोड़ा के लिए बतौर नौकरशाह उनके 38 साल के करियर में सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यकाल साबित हो सकता है। राजस्थान काडर के इस अधिकारी के खाते में कुछ दुर्लभ सफलताएं भी शामिल हैं।
2016 में आईएएस पद से सेवानिवृत्त हुए अरोड़ा अपने फैसले लेने की क्षमता, समझदारी और एहतियात वाले रवैये के लिए जाने जाते हैं। उनके समकालीन अधिकारी अब भी उनको इंडियन एयरलाइंस में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए जानते हैं जब वह वर्ष 2002-2005 के बीच इसके मुख्य प्रबंध निदेशक थे। वह नागरिक विमानन मंत्रालय में भी 1999 से 2002 तक संयुक्त सचिव थे जहां उन्होंने आईसी 814 विमान के कंधार में अगवा होने के मामले को देखा था। राजस्थान में अपने कार्यकाल के दौरान अरोड़ा 1993 और 1998 के बीच पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत और वर्ष 2005 से 2008 के बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रमुख सचिव के तौर पर भरोसेमंद अधिकारी माने जाते थे।
युवा आईएएस अधिकारी के तौर पर अरोड़ा की पोस्टिंग धौलपुर, अलवर, नागौर और जोधपुर जिले में हुई। राजस्थान में उनके समकालीन अधिकारी अब भी याद करते हैं कि अरोड़ा ने 1980 के दशक के आखिर में नागौर में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने वाली स्थिति पर बड़ी चतुराई से नियंत्रण कर लिया था। 2016 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव के तौर पर अरोड़ा ने पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में छात्रों के विरोध प्रदर्शन को शांत कराने में अहम भूमिका निभाई।
अरोड़ा का ताल्लुक मुख्यत: पंजाब से है। ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक उनके पिता नसीब अरोड़ा भारतीय रेल में बतौर लेखा अधिकारी काम करते थे। उनकी मां पुष्प लता डीएवी कॉलेज होशियारपुर में काम करती थीं। अरोड़ा और उनके भाई-बहनों की शिक्षा होशियारपुर में ही हुई। उन्होंने 1976 में सरकारी कॉलेज से अंग्रेजी भाषा में स्नातकोत्तर किया और प्रशासनिक अधिकारी बनने से पहले एक कॉलेज में भी पढ़ाने का भी काम किया। उनके एक भाई राजनयिक हैं जबकि एक अन्य भाई हरियाणा काडर के आईएएस अधिकारी हैं।
अरोड़ा ने योजना आयोग, वित्त मंत्रालय और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय में भी काम किया था जिसका विलय अब विदेश मंत्रालय में किया जा चुका है। इसके अलावा वह कौशल विकास मंत्रालय में भी काम कर चुके हैं। अप्रैल 2016 में सेवानिवृत्त होने के बाद अरोड़ा प्रसार भारती के तत्कालीन महानिदेशक के सलाहकार बने और इस कार्यकाल के बाद वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने। इसके बाद उनकी नियुक्ति निर्वाचन आयोग में हुई।
अरोड़ा को इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में विलय करने के केंद्र के फैसले पर बेहद अफसोस होता है क्योंकि वह इसे मुनाफा कमाने वाली कंपनी में तब्दील करने में ऐसे वक्त पर कामयाब रहे थे जब उसे निजी क्षेत्र की विमानन कंपनियों के साथ प्रतिस्पद्र्धा करनी पड़ रही थी। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में पिछले साल अरोड़ा ने कहा था कि इंडियन एयरलाइंस में उनका लक्ष्य विमानन कंपनी की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाना था जिसका वह नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने वे सभी कदम उठाए जो लक्ष्य हासिल करने के लिए जरूरी थे। अरोड़ा का कहना है कि वह इंडियन एयरलाइंस में आला दर्जे की प्रबंधन टीम बनाने में सफल रहे थे।
अब अरोड़ा खुद को देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद संभालने के लिए तैयार कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें तुरंत फैसले लेने और सोच-समझकर एहतियात से कदम उठाने की अपनी खूबियों को फिर से दर्शाने की जरूरत होगी।
|