भारतीय रिजर्व बैंक ने ऐलान किया है कि वह दिसंबर में अतिरिक्त 400 अरब रुपये की सरकारी प्रतिभूति खरीदेगा। यह खरीद नवंबर के लिए तय 400 अरब रुपये के अतिरिक्त होगी। इस महीने ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) के तहत सरकारी प्रतिभूतियों के आखिरी लॉट की खरीद 29 नवंबर को होगी, जो 100 अरब रुपये की होगी।
केयर रेटिंग्स के मुताबिक, 1 अप्रैल से 23 नवंबर के बीच 1286.6 अरब रुपये की ओएमओ खरीद हो चुकी है, जिसमें से 980 अरब रुपये की खरीद पिछले तीन महीने में हुई है। केयर रेटिंग्स ने कहा, बैंकिंग क्षेत्र लगातार सातवें हफ्ते नकदी संकट का सामना कर रहा है क्योंकि शुद्ध रूप से औसत नकदी की कमी 23 नवंबर को समाप्त हफ्ते में 210 अरब रुपये बढ़कर 1.11 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, नकदी संकट के चलते बाजार के रकम जुटाना चुनौतीपूर्ण हो गया है, ऐसे में एनबीएफसी क्षेत्र अपनी जरूरतों के लिए बैंक की ओर जा रहा है। अप्रैल-सितंबर के दौरान इस क्षेत्र में नकदी का उठान अप्रैल-अगस्त 2018 के -1.25 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 10.12 फीसदी पर पहुंच गया है।
एनबीएफसी की तरफ से ज्यादा मांग के चलते बैंकिंग क्षेत्र में नकदी पर असर पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2019 में आरबीआई की तरफ से ओएमओ खरीद 900 अरब रुपये की रही और इस साल अब तक इन्होंने 1286.6 अरब रुपये की ओएमओ खरीद की है। दिसंबर में ओएमओ खरीद की घोषणा के चलते कुछ खरीद 1500 अरब रुपये के पार निकल जाएगी।
आईएलऐंडएफएस की तरफ से वाणिज्यिक प्रतिभूतियों समेत विभिन्न ऋण प्रतिभूतियों, बॉन्डों व कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट के चलते पिछले आठ से 10 हफ्ते से वित्तीय क्षेत्र नकदी संकट का सामना कर रहा है। साथ ही हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों और एनबीएफसी में संपत्ति-देनदारी के बेमेल होने से भी बाजार को नकदी संकट का सामना करना पड़ा है। तब से आरबीआई ने ओएमओ खरीद समेत कई कदम उठाए हैं और बाजार में नकदी की कमी को पूरा करने की खातिर एनबीएफसी के वित्त पोषण से जुड़े नियमों को नरम बनाया है।
इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक जैसे अहम बैंकों ने ऐलान किया है कि वह एनबीएफसी से इस वित्त वर्ष के आखिर तक 40 अरब रुपये के लोन पोर्टफोलियो की खरीद करेगा। विश्लेषकों ने कहा कि दोनों कदमों से एनबीएफसी को नकदी का प्रवाह बढ़ा है क्योंकि वे अपने उधारी पर भी दोबारा विचार कर रहे हैं और रकम जुटाने के लिए वे अब बैंक कर्ज, ऋणपत्र व वाह्य वाणिज्यिक उधारी आदि पर ज्यादा आश्रित हैं।
इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म बर्नस्टेन के मुताबिक, वाणिज्यिक प्रतिभूतियां अभी कम जारी हो रहे हैं और बाजार एनबीएफसी की वाणिज्यिक प्रतिभूतियों को लेने के लिए तैयार है। रिपोर्ट में कहा गया है, इंडिया इन्फोलाइन, पीरामल और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंंस जैसी कंपनियों ने वाणिज्यिक प्रतिभूतियों के जरिए रकम जुटाई है और वाहनों के लिए कर्ज देने वाले लेनदार काफी मांग देख रहे हैं क्योंकि एनबीएफसी और एचएफसी ज्यादा वाणिज्यिक प्रतिभूतियां जारी कर रही हैं।
अगस्त में पखवाड़े में वाणिज्यिक प्रतिभूतियां जारी होने की औसत दर बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये के उच्चस्तर पर पहुंच गई थी, जो सितंबर में घटकर 1.1 लाख करोड़ रुपये रह गई और अक्टूबर में 900 अरब रुपये रह गई। बर्नस्टेन के मुताबिक, नवंबर के पहले हफ्ते में 1.1 लाख करोड़ रुपये की वाणिज्यिक प्रतिभूतियां जारी हुईं।
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