इस साल अप्रैल से अक्टूबर के दौरान विशेष अधिसूचित क्षेत्रों (एसएनजेड) से सोने के आभूषणों का निर्यात करीब दोगुना हो गया है। इनमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (ईपीजेड) शामिल हैं। सोने के आभूषणों में तेजी की मुख्य वजह अमेरिका से मांग में आई तेजी है जिसकी दुनिया की रत्न और आभूषणों की खपत में 40 फीसदी हिस्सेदारी है। देश में रत्न और आभूषण उद्योग की सर्वोच्च संस्था रत्न एवं आभूषण निर्यात संवद्घ्र्रन परिषद (जीजेईपीसी) के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष अप्रैल से अक्टूबर के दौरान एसईजेड और ईपीजेड से 5.39 अरब डॉलर के सोने के आभूषणों का निर्यात किया गया जो पिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में 82 फीसदी अधिक है।
पिछले वर्ष अप्रैल से अक्टूबर के दौरान इन विशेष क्षेत्रों से 2.96 अरब डॉलर के सोने के गहनों का निर्यात किया गया था। हालांकि रुपये के संदर्भ में देखें तो यह बढ़ोतरी 95 फीसदी है। इस वर्ष अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 37.32 अरब रुपये मूल्य के सोने के गहनों का निर्यात किया गया जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 19.13 अरब रुपये था।
दिलचस्प बात है कि इस दौरान घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) से सोने के गहनों के निर्यात में डॉलर के संदर्भ में 11 फीसदी और रुपये के संदर्भ में 3.61 फीसदी की कमी आई है। इस वर्ष अप्रैल से अक्टूबर के दौरान यह 1.82 अरब डॉलर (12.67 अरब रुपये) रहा जबकि पिछले साल इस दौरान यह 2.04 अरब डॉलर (13.15 अरब रुपये) था।
जीजेईपीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण कुमार पांड्या ने कहा, 'विशेष आर्थिक क्षेत्रों में मौजूद सोने के गहने बनाने वाली सभी बड़ी इकाइयों का जोर विकसित देशों खासकर अमेरिका पर है। पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान अमेरिका की अर्थव्यवस्था में तेजी आई है। इससे अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में सोने के गहनों का निर्यात बढ़ा है।
दूसरी ओर डीटीए (एसईजेड से बाहर) में स्थित गहने बनाने वाली इकाइयां छोटी और मझोली आकार की हैं। वे कम पैमाने पर निर्यात करती हैं।' देश के सकल घरेलू उत्पाद में रत्न और आभूषण निर्यात की हिस्सेदारी करीब 13 फीसदी है। डॉलर के संदर्भ में इसमें तीन फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई है। शुक्रवार को नई दिल्ली में जीजेईपीसी के इंडिया गोल्ड ऐंड ज्वैलरी समिट, 2018 में विशेषज्ञों का कहना था कि भविष्य में सोने के आयात पर शुल्क में भारी कटौती हो सकती है।