प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत जहां लाखों बैंक खाते खोले गए, नोटबंदी के बाद डेबिट कार्ड की संख्या कई गुना बढ़ी, वहीं एटीएम की संख्या स्थिर बनी हुई है और गांवों में बैंकिंग आउटलेट की संख्या कम हुई है। बुधवार को एटीएम उद्योग ने चेतावनी दी कि भारत के आधे एटीएम, खासकर ग्रामीण इलाकों के, जल्द ही बंद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश में एटीएम की संख्या बहुत कम है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक प्रति एक लाख व्यक्ति पर भारत में 18 एटीएम हैं, जबकि अमेरिका और चीन में क्रमश: 173 और 63 एटीएम हैं। दिसंबर 2016 से जून 2018 के बीच जनधन योजना में 3.7 करोड़ नए लाभार्थी शामिल हुए हैं और 17.9 करोड़ नए डेबिट कार्ड जारी हुए हैं, जबकि इस अवधि के दौरान महज 2,000 एटीएम खुले हैं। जनधन योजना के खाते और डेबिट कार्ड में क्रमश: 26 प्रतिशत और 24 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि एटीएम में 1 प्रतिशत से कम की बढ़ोतरी हुई है। बहरहाल ग्रामीण इलाकों पर हमेशा मार पड़ती है। शहरों में जहां प्रति लाख लोगों पर 80 एटीएम हैं, वहीं गावों में महज 10 एटीएम हैं। शहरी इलाकों में डेबिट कार्ड और एटीएम का अनुपात 4,000 से भी कम है, वहीं ग्रामीण इलायों मेंं एक एटीएम पर करीब 12,000 कार्ड हैं। एक प्रमुख एटीएम प्रदाता के अधिकारी ने कहा, 'ग्रामीण इलाकों के एटीएम पहले बंद किए जाएंगे क्योंकि उनसे हमें कम धन मिलता है और वहां धन ले जाने की लागत ज्यादा है।' पहले के साल की तुलना में ग्रामीण इलाकों में बैंक शाखाओं और बिजनेस करेस्पॉन्डेंट्स सहित बैंकिंग आउटलेट्स की संख्या में कमी आई है। भारतीय रिजïर्व बैंक की हाल की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में बैंक शाखाओं की संख्या पहले के साल की तुलना मेंं 55 प्रतिशत कम हुई है और बीसी आउटलेट की संख्या में बहुत ज्यादा कमी आई है। ग्रामीण इलाकों में बीसी की संख्या में पिछले साल की तुलना में 28,000 से ज्यादा की कमी आई है, शहरी क्षेत्रों में काम करने वाले बीसी की संख्या 40,000 बढ़ी है। ये आंकड़े उद्योग जगत की बातोंं की पुष्टि करते हैं, जिनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में परिचालन की व्यवहार्यता बहुत कम है। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण इलाकों में लेन देन कम होता है और लागत ज्यादा आती है। यही वजह है कि शहरी इलाकों में बीसी की संख्या बहुत ज्यादा है, जो वित्तीय समायोजन मेंं उनकी जरूरत के विपरीत है। वैश्विक दिग्गज कंपनियां मझोले और छोटे शहरों में अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ा रही हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में कोई नया खिलाड़ी पैर नहीं रख रहा है। इसमें कई पेंच हैं। सर्वत्र टेक्नोलॉजिज के संस्थापक एवं वाइस चेयरमैन मंदर अगाशे ने कहा, 'भारत के बाजार का भौगोलिक क्षेत्र बहुत व्यापक है। अभी हमें इंटरनेट, टेलीकॉम कनेक्टिविटी और बिजली संबंधी बुनियादी ढांचे में बहुत सुधार करने की जरूरत है। तमाम गांवों में अभी भी घंटों बिजली की कटौती होती है। इसकी वजह से बैंकिंग सुविधाएं देने में बाधा आती है। इसके अलावा अलग अलग गांवों में आबादी भी अलग अलग है। हर गांव में बैंकिंग शाखा मुहैया कराना अतार्किक होगा।' यहां तक कि फिनटेक कंपनियां, जो वित्तीय समावेशन की बात करती हैं और ग्रामीण इलाकों में काम कर रही हैं, वे सिर्फ कस्बाई इलाकों में जाती हैं और इससे ग्रामीण आवादी वित्तीय समावेशन के निकट आती नहीं नजर आ रही है।
