सिर्फ चार बैंकों पर बेसल-3 के नियम लागू करने का अनुरोध | सोमेश झा / नई दिल्ली November 23, 2018 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार के उस अनुरोध को ठुकरा दिया जिसके तहत सरकार ने सोमवार को आयोजित केंद्रीय बोर्ड बैठक में बेसल-3 दिशानिर्देश देश के सिर्फ चार बैंकों पर लागू करने का अनुरोध किया था। आरबीआई का बोर्ड फॉर फाइनैंशियल सुपरविजन (बीएफएस) अब त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई की समीक्षा के सरकारी प्रस्ताव की जांच करेगा और इसके तहत बोर्ड दो अतिरिक्त मानकों एनपीए और लाभ पर दोबारा नजर डालेगा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, आरबीआई बेसल-3 नियम सिर्फ चार बैंकों पर लागू करने के अनुरोध पर सहमत नहीं है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि आरबीआई ने कर्ज लेते समय एमएसएमई को दिए गए जोखिम भारांक को बदलने की सरकार की मांग को भी तवज्जो नहीं दी।
सरकार ने अपनी दलील इस वास्तविकता के आधार पर रखी थी कि एक ओर जहां बेसल ढांचे के तहत न्यूनतम पूंजी का नियम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सकिक्रय बैंकों पर लागू होता है, वहीं आरबीआई ने यह नियम भारत के सभी अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू किया है जबकि हर किसी की वैश्विक मौजूदगी नहीं है। सरकार ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और आईसीआईसीआई बैंक समेत चार बैंकों पर लागू होते हैं। इन बैंकों की 10 फीसदी से ज्यादा परिसंपत्तियां उनके अंतरराष्ट्रीय बहीखाते में है। एक अन्य सूत्र ने कहा, आरबीआई चाहता है कि पूंजी पर्याप्तता के नियम सभी वाणिज्यिक बैंकों पर लागू हों ताकि बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम को रोकने के लिए एक तरह के मानक बरकरार रहें।
सरकार का मानना है कि बेसल से ज्यादा सख्त भारतीय नियमों का बैंकों की पूंजी की जरूरतों पर ज्यादा असर है। आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने जोखिम भारांक संपत्ति अनुपात 9 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी करने के सरकार के अनुरोध को भी ठुकरा दिया।
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