एमटेक ऑटो के भुगतान में लंदन की लिबर्टी हाउस ने की चूक | अदिति दिवेकर और देव चटर्जी / मुंबई November 22, 2018 | | | | |
कर्ज समाधान की पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतारते हुए लंदन की लिबर्टी हाउस आज एमटेक ऑटो के लिए भुगतान में नाकाम रही। लेनदारों ने आज की तारीख भुगतान के लिए अंतिम तारीख के तौर पर तय की थी। कंपनी ने इस साल जुलाई में 42 अरब रुपये में एमटेक ऑटो के अधिग्रहण की बोली जीती थी, लेकिन आज तक बैंकों को रकम का भुगतान करने में नाकाम रही। एक सूत्र ने यह जानकारी दी। इसके साथ ही लेनदार अब अदालत से निर्देश चाहेंगे कि दिवालिया संहिता की धारा 74(3) के तहत क्यों कार्रवाई शुरू की जाए। दिवालिया संहिता की धारा 74 (3) तब लागू होता है जब बोलीदाता अदालत की तरफ से मंजूर योजना पर डिफॉल्ट करता है और इसके तहत पांच साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकती है।
धीर ऐंड धीर एसोसिएट्स के आलोक धीर ने कहा, यह एनसीएलटी के आदेश का उल्लंघन है। बैंक अब कानून के मुताबिक इसके खिलाफ कार्रवाई के हकदार हैं। अब दोबारा बोली मंगानी होगी या कंपनी को परिसमापन में भेजना होगा। कंपनी के परिसमापन की कीमत 40 अरब रुपये थी। संपर्क किए जाने पर लिबर्टी हाउस के एक सूत्र ने कहा कि कंपनी ने बैंकों से मोहलत मांगी है। उन्होंने कहा, हम पहले ही मोहलत मांग चुके हैं और कुछ कानूनी कार्रवाई लंबित है। मुझे नहीं लगता कि कोई मसला है। लिबर्टी हाउस ने भारत में चार परिसंपत्तियों के लिए बोली लगाई थी, लेकिन भुगतान नहीं कर पाई, जो दबाव वाली परिसंपत्तियों के लिए बोली मंगाने और इसकी जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
एमटेक ऑटो को आईबीसी के तहत पिछले साल जुलाई में दिवालिया ट्रिब्यूनल भेजा गया था जब कंपनी ने 123 अरब रुपये के कर्ज भुगतान मेंं चूक की थी। लिबर्टी हाउस ने इस साल जुलाई में इसकी बोली जीत ली और बैंकों को इस प्रक्रिया में 67 फीसदी की कटौती झेलनी थी। सूत्र ने कहा, हम 15 फीसदी बोली की रकम का इंतजार कर रहे थे, लेकिन लिबर्टी हाउस यह भी चुकाने में अक्षम है। आज 100 फीसदी भुगतान की समयसीमा का आखिरी दिन था। बोली के समय लिबर्टी हाउस ने अगले तीन-चार सालों में कंपनी में 10 अरब रुपये के अतिरिक्त निवेश का वादा किया था और कहा था कि वह तत्काल कंपनी में 5 अरब रुपये लगाएगी। एमटेक ऑटो की परिसंपत्तियां दुनिया भर में फैली है और यहां 6,000 कर्मचारी काम करते हैं। लिबर्टी हाउस ने आधुनिक मेटलिक्स की बोली भी जीती है, लेकिन आधुनिक व एमएसटीसी के बीच लंबित मामलों का हवाला देते हुए बैंकों को भुगतान नहीं किया। एमएसटीसी बनाम आधुनिक के मामले पर 11 दिसंबर को सुनवाई होगी।
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